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प्यास नहीं बुझा पा रहा हाइजिन इंडिया योजना की वाटर मशीन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी योजनाएं किस तरह दम तोड़ देती हैं, इसका उत्तम उदाहरण है जिलाधिकारी परिसर में लगा हाइजिन इंडिया योजना का शुद्ध जल संयंत्र। इस संयंत्र को लगाने की मंजूरी स्वयं तत्कालीन जिलाधिकारी सचिन कुर्वे ने दी थी। मंजूरी के बाद सारी प्रक्रियाएं पूरी की गईं, सयंत्र लगाया गया। जिलाधिकारी कार्यालय से संयंत्र की टंकी तक जलापूर्ति शुरू हुई, ट्रायल किया गया। सबकुछ ठीक-ठाक था। अब इसका उद्घाटन करके उसे नियमित रूप से शुरू करना ही रह गया था कि जिलाधिकारी कार्यालय ने जलापूर्ति बंद कर दी। जबकि इस योजना का स्वरूप ऐसा था कि इसके लिए जमीन और पानी दोनों सरकार देगी और संयंत्र लगाने वाली संस्था नागरिकों को शुद्ध ठंडा पानी देने के बदले नाममात्र शुल्क लेगी। साथ ही एक व्यक्ति को रोजगार भी देगी। जिलाधिकारी कार्यालय से जलापूर्ति न हाेने से यह संयंत्र बंद पड़ा है। संयंत्र पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी की तस्वीर लगी है।
ऐसी है सरकार की योजना
दो साल पहले सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत बेरोजगारों के सामने रोजगार करने के अनेक विकल्प रखे थे। इन्हीं में से एक था स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत का विकल्प। स्वच्छ भारत के लिए शौचालय, प्रसाधन गृह आदि विषय थे तो स्वस्थ भारत के लिए देशवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने का मानस था। जलापूर्ति से जुड़ी PPP आधारित हाइजिन इंडिया संकल्पना है। इसके तहत ऐसे सरकारी कार्यालय जहां हर रोज हजारों लाेगों की आवाजाही होती, वहां हाइजिन इंडिया के अंतर्गत पेयजल संयंत्र लगाना था। जिस संस्था को योजना पर काम करना था उसे अपना प्रस्ताव संबंधित जिलाधिकारी कार्यालय को देकर मंजूरी लेनी पड़ती थी। संयंत्र में एक स्थानीय व्यक्ति को रोजगार देना भी अनिवार्य किया गया था। इस संयंत्र में एक रुपए में एक लीटर शुद्ध जल और दो रुपए में एक लीटर आरओ का जल वितरित किया जाने वाला था।
सरकार देशवासियों को शुद्ध जल उपलब्ध करवाने के लिए अनेक उपाय योजनाओं पर काम कर रही है। मेक इन इंडिया के अंतर्गत PPP के आधार पर विविध संस्थाओं को पेयजल आपूर्ति करने का ठेका दिया जा रहा है। ऐसी ही एक योजना का हिस्सा है हाइजिन इंडिया। इस योजना में सरकारी कार्यालयों में अानेवाले लोगों को पानी उपलब्ध करवाने का उद्देश्य है। राज्य के अनेक शहरों में यह योजना शुरू हो चुकी है। नाममात्र शुल्क लेकर नागरिकों को ठंडा और शुद्ध पानी दिया जा रहा है। लेकिन नागपुर में अधिकारयों की लालफीताशाही के कारण इसे पलीता लग गया है। सालभर पहले नागपुर में भी इस योजना पर काम करने की मंजूरी तत्कालीन जिलाधिकारी सचिन कुर्वे ने एक संस्था को दी थी।
संस्था ने 5 लाख रुपए खर्च कर जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में सेतु के सामने शुद्ध पानी देने के लिए संयंत्र लगाया। जिलाधिकारी कार्यालय से ही जलापूर्ति शुरू कर ट्रायल भी किया गया। कुछ दिन बाद अचानक जिलाधिकारी कार्यालय ने जलापूर्ति बंद कर दी। कहा गया कि जलापूर्ति करना उनका काम नहीं है, संस्था को पानी का प्रबंध स्वयं करना होगा। अब संस्था पानी के लिए छटपटा रही है। संस्था को पानी के लिए बोरवेल की खुदाई करनी है। इसके लिए जलसंपदा विभाग और लोकनिर्माण विभाग की एनओसी चाहिए, जो उसे नहीं मिल पा रही है। लिहाजा एक रुपए में शुद्ध पानी देने की योजना सरकारी दस्तावेजों में अटक गई है। चार महीने से संस्था संचालक कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। परेशान संस्था ने अब इस संयंत्र को हटाने का निर्णय लिया है।
पूरा सहयोग किया
चंद्रकांत दुधपचारे अधिकारी के मुताबिक जिलाधिकारी कार्यालय में लगे शुद्ध पेयजल संयंत्र को शुरू करने के लिए पानी की आवश्यकता है। पानी के लिए बोरवेल होना जरूरी है। इसके लिए संबंधित विभागों की एनओसी या अनुमति चाहिए। संस्था द्वारा इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रक्रिया में क्या बाधाएं आ रही हैं, इसकी हमें जानकारी नहीं है। जिलाधिकारी कार्यालय को जलापूर्ति करने का अधिकार नहीं है। संयंत्र लगाने वालों को स्वयं पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है, इसके लिए हमारी ओर से पूरा सहयोग किया गया है। इसके बाद ही संयंत्र लगा है।
दूसरे शहर ले जाएंगे संयंत्र
संचालक अरविंद देठे भारत एक कदम संस्था के मुताबिक पेयजल आपूर्ति संयंत्र लगाने की जब मंजूरी दी गई थी, उस समय जलापूर्ति का भी आश्वासन दिया गया था। पूरा संयंत्र लगाने में 5 लाख रुपए खर्च किया गया है। जिसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय परिसर से कनेक्शन लेकर ट्रायल लिया गया। इसके बाद उद्घाटन कर नियमित रूप से इसे शुरू करना था, तभी अचानक पानी का कनेक्शन बंद कर दिया गया। इस बारे में पूछने पर बताया गया कि जिलाधिकारी कार्यालय किसी को जलापूर्ति नहीं कर सकता।
अब जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारी बोरवेल खोदने को कह रहे हैं। इसके लिए लोकनिर्माण विभाग की मंजूरी चाहिए। लोकनिर्माण विभाग को जलसंपदा विभाग की मंजूरी चाहिए। दोनों विभागों में चार महीने पहले आवेदन दिए गए हैं, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ रही है। ऐसे हालात में मानसिक रूप से त्रस्त होने की बजाय हम जल्द ही संयंत्र दूसरे शहर ले जाएंगे। वहां इसे शुरू किया जाएगा। यहां का प्रशासन सरकारी योजना को सफल नहीं होने देना चाहता।
Created On :   5 Jun 2018 4:56 PM IST