अधिकारी व न्यायाधीश जिनके पास घर हैं उन्हें न किया जाए दूसरे मकान का आवंटन - हाईकोर्ट

अधिकारी व न्यायाधीश जिनके पास घर हैं उन्हें न किया जाए दूसरे मकान का आवंटन - हाईकोर्ट
अधिकारी व न्यायाधीश जिनके पास घर हैं उन्हें न किया जाए दूसरे मकान का आवंटन - हाईकोर्ट
अधिकारी व न्यायाधीश जिनके पास घर हैं उन्हें न किया जाए दूसरे मकान का आवंटन - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आईएएस,आईपीएस व न्यायिक अधिकारी (न्यायाधीश) जिनके पास महाराष्ट्र में एक घर है उन्हें सरकारी योजना के तहत दूसरा मकान नहीं आवंटित किया जाना चाहिए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मत व्यक्त किया। याचिका में मुंबई के ओशिवरा इलाके में उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए बहुमंजिला इमारत के लिए आवंटित की गई जमीन पर सवाल उठाए है।

न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने तिरोडकर ने कहा कि सरकार न सिर्फ ओशिवरा इलाके में हाईकोर्ट के कार्यरत न्यायाधीशों के लिए फ्लैटों निर्माण कर रही बल्कि जो न्यायाधीश बांबे हाईकोर्ट से सेवानिवृत्त होते है ऐसे लोगों को भी फ्लैट आवंटित करती है। जो न्यायाधीश यहां से सुप्रीम कोर्ट भी चले जाते है उन्हें भी मकान आवंटित किया जाता है।  श्री तिरोड़कर की दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे महसूस होता है कि वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट (आईएएस व आईपीएस) अथवा न्यायाधीश जिसके पास पहले शहर व राज्य में मकान है।

ऐसे लोगों को सरकारी योजना के तहत दूसरा मकान नहीं लेना चाहिए। आखिर दूसरे मकान की जरुरत क्या है? हमने कई बार ऐसे देखा है कि विधायक व सांसद व सरकारी अधिकारी सरकारी योजना के तहत एक मकान लेकर उसे अपने रिश्तेदारों के नाम कर देते है और फिर नए घर के लिए आवेदन करते है?  हमारी राय में इसे उचित नहीं माना जा सकता है।

खंडपीठ ने राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कंुभकोणी को तत्काल इस मुद्दे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ध्यानार्थ लाने को कहा है और शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई रखी है। तिरोडकर की याचिका के मुताबित सरकार ने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के लिए साल 2015 में आवसीय योजना को मंजूरी प्रदान की थी। जिसके तहत ओशिवरा इलाके में 32 हजार 300 वर्गफुट का भूखंड आवंटित किया गया था। सरकार ने अब तक इस जगह पर बन रही इमारत में 39 न्यायाधीशों की सदस्यता को मंजूरी प्रदान कर दी है। जबकि दो न्यायाधीशों ने मकान के लिए किए गए आवेदन को वापस ले लिया है।

Created On :   4 May 2018 12:07 AM IST

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