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न्यायपालिका पर भरोसा नहीं तो क्यों आए अदालतः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि हम पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी शरजिल उस्मानी के पूरे भाषण को देखेंगे। वैसे भाषण में उस्मानी ने कहा है कि उसे विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है फिर भी उसने राहत के लिए न्यायालय की शरण ली है। हाईकोर्ट में उस्मानी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि उस्मानी को गिरफ्तार करने से पहले सभी नियमों का पालन किया जाए। इससे पहले उस्मानी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने कहा कि उनके मुवक्किल 18 मार्च 2021 को पुणे पुलिस के सामने उपस्थित होंगे। बशर्ते उन्हें गिरफ्तारी से मिली राहत को अगली सुनवाई तक जारी रखा जाए। एक बार 10 मार्च को भी मेरे मुवक्किल पुलिस के सामने हाजिर हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने एल्गार परिषद के दौरान उस्मानी द्वारा दिए गए भाषण की प्रति पेश की। उन्होंने कहा कि इस भाषण में कड़े शब्दों का प्रयोग किया गया है। लेकिन इस मामले में जो सबसे महत्वपूर्ण बात है वह यह देखना है कि इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (वैमन्य फैलाना) के तहत मामला बनता है कि नहीं।
न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ ने उस्मानी के 6 पन्ने के लंबे भाषण को देखने के बाद कहा कि यह भाषण काफी बड़ा है। इसलिए हम इसे पूरा पढने के बाद ही निष्कर्ष पर पहुंचेगे। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि वैसे उस्मानी ने अपने भाषण में कहा है कि उसे न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है। लेकिन राहत के लिए न्यायपालिका में ही आए हैं। हम हर तरह की आलोचना के लिए तैयार हैं लेकिन वह तार्किक होनी चाहिए।
मीडिया से लोगों को मदद भी मिलती है
इस दौरान सरकारी वकील जेपी याज्ञनिक ने कहा कि पुलिस आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है। हमारी जांच अभी भी अधूरी है। आरोपी मीडिया में अनावश्यक बयानबाजी कर रहे हैं। आरोपी को राहत देने से समाज में गलत संदेश जा रहा है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि मीडिया आज के दौर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है वह समाज तक जानकारियों को पहुंचा रहा है। पहले भी घटनाए घटती थी लेकिन इतनी रिपोर्ट नहीं होती थी लेकिन अब हो रही है। मीडिया की खबरों के चलते कितने जरुरतमंदों को उपचार के लिए आर्थिक सहायता मिली है। इसलिए हम मीडिया से जुड़े एकाध अपवादों पर विचार नहीं करेंगे। खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 22 मार्च को सुनवाई रखी है।
याचिका में उस्मानी ने खुद के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। उस्मानी के खिलाफ भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण गावडे ने पुणे पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है। याचिका में उस्मानी ने इस शिकायत को राजनीतिक नौटंकी की संज्ञा दी है। गावडे की शिकायत के आधार पर पुणे पुलिस ने उस्मानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए (वैमनस्य फैलाने) के तहत एफआईआर दर्ज की है। शिकायत में दावा किया गया है कि 30 जनवरी 2021 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के दौरान आरोपी उस्मानी ने हिंदु समुदाय, न्यायपालिका व संसद के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए थे।
Created On :   15 March 2021 7:07 PM IST