जाति प्रमाणपत्र की आवेदन प्रणाली में सुधार लाएं

Improve the application system of caste certificate
जाति प्रमाणपत्र की आवेदन प्रणाली में सुधार लाएं
जाति प्रमाणपत्र की आवेदन प्रणाली में सुधार लाएं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जाति वैधता प्रमाणपत्रों से जुड़े विवादों से बचने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने प्रदेश आदिवासी विकास विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए हैं कि वे आवेदन की एक ऐसी प्रणाली विकासित करें, जिसमें आवेदक द्वारा जोड़े गए सभी दस्तावेजों की रसीद उन्हें प्रदान की जाए। पड़ताल समिति इन दस्तावेजों की एक प्रति भी अपने पास सुरक्षित रखे। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि उनके समक्ष ऐसे कई मामले देखने में आ रहे हैं। ऐसे मामलों में आवेदक ने वाकई दस्तावेज प्रस्तुत किए या नहीं यह पता ही नहीं चल पाता। इस समस्या को लेकर 12 जनवरी 2021 में भी हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन इस पर कोई उत्तर नहीं दायर किया गया। ऐसे में हाईकोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया है। 

क्या था मामला
उल्लेखनीय है कि छात्रा राजश्री काबीरे ने अमरावती जाति वैधता पड़ताल समिति के पास "अरख" जाति के प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था। लेकिन समिति ने अपने स्तर पर जांच की और फैसला दिया कि छात्रा को उक्त जाति का प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। जिसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार आवेदन में अपने दादा का "अरख" जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था। छात्रा का दावा था कि इसी आधार पर उसे भी जाति प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए। लेकिन समिति ने इस दस्तावेज पर गौर किए बगैर ही अपना निर्णय दे दिया। इसके उलट समिति का दावा था कि छात्रा ने ऐसा कोई प्रमाणपत्र जोड़ा ही नहीं था। हाईकोर्ट ने उक्त आदेश के साथ समिति को छात्रा के आवेदन पर दोबारा विचार करके 6 माह में फैसला सुनाने के आदेश दिए हैं। मामले मंे छात्रा की ओर से एड. तेजस देशपांडे ने पक्ष रखा।

Created On :   2 March 2021 3:10 PM IST

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