इन क्षेत्रों में पहुंचते ही कम हो जाएगी ट्रेन की रफ्तार, लगातार देना होगा हार्न

In  past several years, trains and railway tracks are becoming dangerous for wildlife
इन क्षेत्रों में पहुंचते ही कम हो जाएगी ट्रेन की रफ्तार, लगातार देना होगा हार्न
इन क्षेत्रों में पहुंचते ही कम हो जाएगी ट्रेन की रफ्तार, लगातार देना होगा हार्न

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। बीते अनेक वर्षों से वन्य जीवों के लिए ट्रेन व रेल्वे पटरियां काल बन रहीं हैं।  वन्य जीवों को इससे बचाने के लिए वन विभाग एवं रेलवे विभाग ने जांच रिपोर्ट तैयार कर इसे साउथ-इस्ट सेंट्रल रेलवे के नागपुर डिविजन तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(एनटीसीए) को भेजी है। यदि रिपोर्ट की सिफारिशों को मंजूर कर लिया जाता है तो चंद्रपुर जिले सहित जंगल क्षेत्रों में रेलवे पटरियों से गुजरने वाली हर ट्रेन की रफ्तार को कम किया जाएगा। साथ ही यहां से ट्रेन के गुजरते समय उसके चालक को लगातार हॉर्न बचाना होगा। जांच समिति की रिपोर्ट पर शीघ्र ही दिल्ली में इस पर विचार किया जाएगा।

ज्ञात हो कि बीते नवंबर माह में ट्रेन से कटकर बाघ के 3 शावकों की मौत हुई थी। इसके बाद वन विभाग को वन्य जीवों की जान बचाने के लिए उपाय खोजने की नौबत आन पड़ी है। आनन-फानन में रेलवे एवं वन विभाग को जांच समिति का गठन करना पड़ा था। अब जाकर इस समिति की अंतिम रिपोर्ट पेश होन के  बाद प्रशासन ने अपनी सिफारिशों के साथ यह प्रस्ताव संबंधित रेलवे प्रशासन एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण(एनटीसीए) को भेजा है।

18 से अधिक वन्य जीवों की गई जान
जांच समिति की रिपोर्ट बताती है कि चांदाफोर्ट के बल्लारशाह-गोंदिया रेलवे लाइन के 60 कि.मी. के दायरे में फैले घने वन क्षेत्र से गुजरती ट्रेनों के कारण ताड़ोबा बफर जोन एवं न्यू नागझिरा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी क्षेत्र में बीते 8 वर्ष में 18 से अधिक वन्यजीवों की ट्रेन से कटकर मौत हुई हैं। इनमें 4 बाघ, एक भालू, 2 तेंदुए, 1 वाइल्ड बोअर, 1 इंडियन गौर, 2 लकड़बग्गे, 1 नीलगाय, 1 चीतल, 5 जंगली सुअर आदि वन्य जीवों का समावेश है। यह हालात चिंताजनक स्थिति में पहुंच गए हैं। ब्रिटिशकालीन चांदाफोर्ट रेल मार्ग भले ही वर्ष 1888  में निर्माण किया गया हो, लेकिन इसे ब्रॉडगेज में वर्ष 1997  में तब्दील किया गया। तब से यह विकास बाघ व अन्य जीवों की मौत का कारण बन रहा है। विकास की रफ्तार में वन्य जीवों को बचाना मुश्किल होता जा रहा है।

यह है मामला, ऐसे बनी जांच समिति की रिपोर्ट
चंद्रपुर में जंगल के बीच से गुजरती बल्लारशाह-गोंदिया चांदाफोर्ट रेलवे मार्ग पर अक्सर ताड़ोबा के बफर जोन में विचरण करने वाले वन्य जीव ट्रैक पर आ जाते हैं। बीते नवंबर माह में बाघ के 3 शावकों की ट्रेन की टक्कर से मौत हुई थी। लगातार घटित घटनाओं से चिंतित वन विभाग ने इसका हल खोजने के लिए रेलवे विभाग के समन्वय से समिति बनाई। जांच रिपोर्ट व उपाय खोजने के लिए चंद्रपुर के मुख्य वनसंरक्षक एस.वी.रामाराव की अध्यक्षता में ताड़ोबा वनसंरक्षक एन.आर.प्रवीण, ब्रह्मपुरी उपवनसंरक्षक कुलराज सिंह, चंद्रपुर डीएफओ अशोक सोनकुसरे, मानद वन्यजीव रक्षक बंडू धोतरे, मुकेश भांदककर, प्रकाश कामडे तथा अन्य अधिकारियों को इसमें शामिल किया गया था। गहन अध्ययन के बाद इस समिति की रिपोर्ट ट्रेनों की रफ्तार कम कर हॉर्न बजाने के प्रस्ताव पर आ टीकी है।

तत्काल एक्शन की उम्मीद
मुख्य वनसंरक्षक की अध्यक्षता वाली समिति ने गहन अध्ययन कर एक अच्छी रिपोर्ट बनाई है। इसे रेलवे विभाग, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ फॉरेस्ट, जनरल मैनेजर एफडीसीएम, ताड़ोबा प्रबंधन को भेजा गया। इसके बाद हमने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को यह रिपोर्ट भेजी। समिति द्वारा सुझाये गए विविध उपायों पर एनटीसीए की ओर से शीघ्र अमल किए जाने की उम्मीद है।   -प्रा.सुरेश चोपने, सदस्य, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली

 

जांच समिति का प्रस्ताव

  • घने जंगल वाले क्षेत्र से जब ट्रेन गुजरेगी तब उसकी गति को कम करना अनिवार्य होगा
  • जहां से वन्य जीवों का लगातार आवागमन होता है, वहां अंडर पास मार्ग बनाना होगा
  • आवश्यक सभी स्थानों पर कंटीले तारों का कंपाउंड अथवा दीवार का निर्माण करना होगा
  • रेलवे पटरियों पर वन्य जीव नहीं आने पाएं, इसके लिए सभी सावधानियों पर अमल

Created On :   28 Dec 2018 7:25 AM GMT

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