अधिकारियों की एकतरफा कार्रवाई के विरोध में मप्र के वन कर्मचारियों ने वापस किए हथियार

In protest against the unilateral action of the officials, the forest employees of MP returned the weapons
अधिकारियों की एकतरफा कार्रवाई के विरोध में मप्र के वन कर्मचारियों ने वापस किए हथियार
मध्य प्रदेश अधिकारियों की एकतरफा कार्रवाई के विरोध में मप्र के वन कर्मचारियों ने वापस किए हथियार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। एक अभूतपूर्व घटना में, अपने सहयोगियों के खिलाफ कथित एकतरफा कार्रवाई से असंतुष्ट होकर, गार्ड और रेंजरों सहित सैकड़ों वन अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में अपने-अपने कार्यालयों में शासन की ओर से मिले हथियार वापस कर दिए हैं।

विदिशा जिले में तैनात वन कर्मचारियों द्वारा सबसे पहले हथियार सौंपने के कदम को जल्द ही कई अन्य जिलों के वन अधिकारियों ने समर्थन दिया। एक के बाद एक, वन अधिकारियों ने अपने-अपने कार्यालयों में पहुंचना शुरू कर दिया और अपने वरिष्ठों के सामने अपने हथियार सौंप दिए। यह कदम विदिशा जिले के लटेरी में एक घटना में शामिल वन टीम के खिलाफ कथित एकतरफा कार्रवाई के खिलाफ उनके विरोध का हिस्सा था, जहां कथित गोलीबारी में एक आदिवासी व्यक्ति की मौत हो गई थी। कई वन कर्मचारी मध्य प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह के दफ्तर तक हथियार सरेंडर करने पहुंचे।

दरअसल विदिशा में वनकर्मी की गोली से एक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी, जिसके बाद प्रशासन की ओर से वनकर्मी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर दिया गया। वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में इसे लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोश है, इसलिए मंगलवार को वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध जताया। इस दौरान उन्होंने शासन की तरफ मिले हथियारों को जमा करा दिया। घटना के बाद, विदिशा जिला पुलिस ने वन टीम के आठ सदस्यों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया था, हालांकि अधिकांश अज्ञात रहे। नामित अधिकारियों में से एक - डिप्टी रेंजर निर्मल अहिरवाड़ा को 12 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, हालांकि उसने दावा किया कि वह मौके पर मौजूद नहीं था।

मृतक के साथियों ने दावा किया कि लटेरी में कटियापुरा वन बीट के पास नौ अगस्त की शाम वन गश्ती दल ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें रायपुरा गांव के च्यान सिंह की मौत हो गयी और तीन अन्य घायल हो गए। हालांकि वन कर्मचारियों ने दावा किया था कि लकड़ी की तस्करी में शामिल लोगों द्वारा उन पर पथराव किए जाने के बाद गोलीबारी आत्मरक्षा में की गई थी। आरोप है कि क्षेत्र में बड़े पैमाने लकड़ी की तस्करी में लोग शामिल हैं।

कथित लकड़ी चोरी और तस्करी दिखाने वाले वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए थे। बाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए और च्यान सिंह के परिवार को 25 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई। घायलों में से प्रत्येक के लिए पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गई। बाद में रायपुरा के छह और स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि वे भी कथित गोलीबारी में घायल हुए हैं।

विदिशा संभागीय वन अधिकारी, राजबीर सिंह को 11 अगस्त को घटना के परिणामस्वरूप स्थानांतरित कर दिया गया था। वन कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त था और लटेरी में कई कर्मचारी पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए अपने घरों को परिवारों के साथ छोड़कर चले गए थे। सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि कथित तौर पर मध्य प्रदेश के राज्य वन रेंज अधिकारी राजपत्रित संघ द्वारा हथियार आत्मसमर्पण करने का आह्वान किया गया था।

वन एवं वन्यजीव संरक्षण कर्मचारी संघ की विदिशा इकाई के अध्यक्ष अतुल कुशवाहा ने कहा कि लटेरी घटना में वन गश्ती दल के सदस्यों की गिरफ्तारी के रूप में एकतरफा कार्रवाई के विरोध में राज्य भर के वन कर्मियों ने हथियार सरेंडर कर दिए हैं। कुशवाहा ने कहा, इन हथियारों का क्या फायदा, अगर हम आत्मरक्षा के लिए भी गोली नहीं चला सकते हैं। इसलिए, हमने हथियारों का आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है।

कर्मचारी संघ ने कहा है कि मध्य प्रदेश वन विभाग ने न तो सशस्त्र वन कर्मचारियों को सशस्त्र बल घोषित किया है और न ही सीआरपीसी की धारा 197 के तहत सशस्त्र कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कोई स्पष्ट प्रोटोकॉल है। बाद में वन मंत्री ने कहा कि वह बुधवार को बैठक के दौरान शिवराज सिंह चौहान के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। हालांकि वनकर्मी बुधवार को भी राज्य के विभिन्न हिस्सों में अपने हथियार जमा करते रहे। वन कर्मियों के साथ चर्चा में शाह ने कहा, घटनाओं से निराश होने की जरूरत नहीं है। मेरा मानना है कि जंगल की सुरक्षा बंदूक की ताकत पर आधारित नहीं है।

मंत्री ने कहा कि रेंजरों और अन्य वन कर्मचारियों के अधिकारों को भी बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा, वे कहते हैं कि 2,000 वन कर्मियों पर भरोसा करके खुले जंगल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है। अब वन समितियों के सदस्यों को सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस बारे में एक रूपरेखा तैयार की जाएगी।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   17 Aug 2022 7:30 PM IST

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