- Home
- /
- फरवरी में हो सकता है स्वच्छता...
फरवरी में हो सकता है स्वच्छता सर्वे, जनता के भरोसे श्रेणी सुधारने की जद्दोजहद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जनता के भरोसे स्वच्छ शहरों की श्रेणी में उपराजधानी की जद्दोजहद करने मनपा जुट गई है। इसी के चलते स्वच्छता सर्वे फरवरी में होने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके चलते मनपा प्रशासन संतरानगरी को स्वच्छ शहरों की श्रेणी में ऊपर लाने के लिए आधी-अधूरी तैयारी के साथ जुट गया है। सबसे बढ़ा मुद्दा सूखा और गीला कचरा अलग-अलग करने और शहर को स्वच्छ रखने का है। इससे बचने के लिए मनपा ने सफाई की जिम्मेदारी शहरवासियों के कंधों पर डालने का निर्णय लिया है, इसे लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
सफाई पर ही उठ रहे सवाल
शहर में बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां सफाई नहीं होती है। निर्माण कार्य के कारण जगह-जगह गंदगी पड़ी हुई है। कर्मचारियों को ड्यूटी पर लाकर काम करवाने के लिए जीपीएस वाली हाथ घड़ी भी बांटी गई, लेकिन वह प्रोजेक्ट भी अभी ठंडे बस्ते में है। स्वच्छ भारत अभियान में लगाए गए डस्टबिन से सफाई कर्मचारी कचरा नहीं निकालते हैं। कई टूट चुके हैं और कई चोरी जा चुके हैं। जबकि शासकीय संपत्ति चोरी जाने पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
घर-घर नहीं पहुंचती गाड़ी
प्रत्येक घर से कचरा जमा करने की जिम्मेदारी मनपा ने कनक रिर्सोस कंपनी को दी है, लेकिन गाड़ियां प्रतिदिन कचरा लेने घर नहीं पहुंचती हैं। कनक के पास करीब 170 कचरा संग्रह करने वाली गाड़ियां हैं, लेकिन सभी में सूखा-गीला कचरा जमा करने के लिए अलग-अलग व्यवस्था नहीं है। वहीं सूखा-गीला कचरा अलग-अलग जमा होने के बाद उसे भांडेवाड़ी में मिलाकर दिया है, जिससे पूरी मेहनत बेकार हो जाती है।
नागरिकों को भी समझना होगा
गीले कचरे के लिए हरा डस्टबिन : रसोई का कचरा जैसे सब्जियां, फल, अंडे के छिलके, चिकन-मटन की हड्डियां, नारियल के छिलके, पत्ते की प्लेट्स, चाय बैग, उद्यान के अपशिष्ट, गिरी हुई पत्तियां, टहनियां, पूजा के फूल व घास आदि
सूखे कचरे के लिए पीला डस्टबिन : प्लास्टिक कवर, बोतलें, चिप्स, टॉफी के रैपर, प्लास्टिक के कप, दूध-दही के पैकेट, कागज, पत्रिका, स्टेशनरी, गत्ते के बॉक्स, पेपर कप और प्लेट्स, पन्नी कंटेनर्स, धातु के कैन, रबर, थर्माकोल, पुराने कपड़े, प्रशासन सामग्री, बाल आदि।
गीला और सूखा कचरा जमा करने डस्टबिन ही नहीं
मनपा ने संपत्तिधारकों को गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए दो नि:शुल्क डस्टबिन बांटने का निर्णय लिया था, लेकिन न्यायालय ने नि:शुल्क डस्टबिन नहीं बांटने के आदेश दिए हैं। शहरवासियों को गीला-सूखा कचरा अलग-अलग जमा करने के लिए जागरूक करना है, क्योंकि अपवाद स्वरूप लोग ही घर में गीला और सूखा कचरे के लिए अलग-अलग डस्टबिन रखते हैं।
अलग-अलग करेंगे
हम नागरिकों को जागरूक कर रहे हैं कि गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा करें। उसे भांडेवाड़ी में जमा किया जाएगा, जहां "बेस्ट टू एनर्जी प्रोजेक्ट" में उसकी प्रक्रिया की जाएगी। - डॉ.सुनील कामले, स्वच्छता अधिकारी, मनपा
Created On :   7 Dec 2018 1:08 PM IST