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पुनर्मूल्यांकन के नाम पर यूनिवर्सिटी ने 3 वर्ष में कमाए 4 करोड़ 30 लाख

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने पुनर्मूल्यांकन शुल्क के नाम पर विद्यार्थियों से 4 करोड़ 30 लाख रुपए वसूल किए हैं। पूर्व कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे ने पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ने पर विद्यार्थी को शुल्क लौटाने का निर्णय लिया था, लेकिन चार साल बाद भी इस पर अमल नहीं हुआ है।
आरटीआई में हुआ खुलासा
सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में नागपुर विवि ने पुनर्मूल्यांकन के आंकड़े जारी किए हैं। विवि द्वारा जारी परिणाम से संतुष्ट न होने पर विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन की सुविधा दी जाती है। एक पेपर के लिए 160 तो दो पेपर के लिए 320 रुपए का शुल्क भरना पड़ता है। हर परीक्षा के बाद हजारों की संख्या में विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन भरते हैं। वर्ष 2017-18 की ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन परीक्षा के बाद 84 हजार विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन भरा था, जिससे नागपुर विवि को 1 करोड़ 15 लाख रुपए की आय प्राप्त हुई है। इसी तरह वर्ष 2018-19 की ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन परीक्षा के बाद 1 लाख 8 हजार विद्यार्थियों ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन भरा था, जिससे विवि को 1 करोड़ 66 लाख रुपए की आय हुई थी। वर्ष 2019-20 के परीक्षा सत्र में विवि को 1 करोड़ 45 लाख रुपए की आय हुई। इस तरह बीते तीन वर्ष में नागपुर विवि ने सिर्फ पुनर्मूल्यांकन के नाम पर विद्यार्थियों से 4 करोड़ 30 लाख रुपए वसूले हैं।
पूर्व कुलगुरु ने लिया था निर्णय
पूर्व कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ने पर विद्यार्थी को शुल्क लौटाने का निर्णय लिया था, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका है। विवि के वित्त विभाग को बीते चार वर्ष में इस संबंध में कोई आदेश ही प्राप्त नहीं हुआ है। दरअसल, पुनर्मूल्यांकन में यदि नंबर बढ़ते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि विश्वविद्यालय की ओर से ही मूल्यांकन में चूक हुई थी। इसमें विद्यार्थी की कोई गलती नहीं थी। जब गलती विश्वविद्यालय की है, तो विद्यार्थी बेवजह पुनर्मूल्यांकन शुल्क क्यों भरेंगे? इसी सोच के साथ तत्कालीन कुलगुरु डॉ. काणे ने नंबर बढ़ने पर शुल्क लौटाने का फैसला लिया था, इस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। विद्यार्थी संगठन बार बार विवि को कुलगुरु द्वारा लिए गए फैसले को लागू करने की मांग कर रहे हैं।
Created On :   29 April 2021 3:46 PM IST