इस तकनीक से हो सकता है नकली बीज की समस्या का समाधान

In this way technology can solve the problem of fake seeds
इस तकनीक से हो सकता है नकली बीज की समस्या का समाधान
इस तकनीक से हो सकता है नकली बीज की समस्या का समाधान

डिजिटल डेस्क, मुंबई। हर साल नकली बीज के चलते हजारों किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। उन्नतशील बीज उत्पादन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय कंपनी एडवांटा का मानना है कि अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर किसान नकली बीज से बच सकते हैं। यह कंपनी उसके बीज की वजह से होने वाले नुकसान के लिए किसानों को भरपाई भी करती है। कंपनी के दुबई स्थित मुख्यालय में देशभर से आए पत्रकारों से बातचीत में दुनिया कि चौथी सबसे बड़ी सीड कंपनी एडवांटा के कार्यकारी निदेशक विक्रम श्राफ ने बताया कि नकली बीज की समस्या से निपटने के लिए बारकोड स्कैनर का इस्तेमाल किया जा सकता है। बीज के हर पैकेट पर एक बारकोड दिया जाएगा। किसान अपने स्मार्ट फोन से उस बोरकोड को स्कैन कर जान सकेंगे कि यह बीज नकली है अथवा असली। उन्होंने कहा कि आज लगभग सभी के पास स्मार्ट फोन होना आम बात है। श्री श्राफ ने बताया कि बारकोड-होलोग्राम सिस्टम को अनिवार्य करने की बाबत हमारी सरकार से चर्चा चल रही है।

बीज के साथ बीमा

उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी के नकली बीज बेचने वालों का पता लगाने के लिए कंपनी की अपनी टीम भी है। उन्होंने बताया कि अब तक हमने किसानों को नुकसान भरपाई के तौर पर करोड़ों रुपए का भुगतान किया है। कंपनी का बीज खरीदने वाले किसान बीज खरीदने के बाद बीमा के लिए मोबाईल एप से खुद ही अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। कंपनी बीमा देने के लिए स्मार्ट एग्रीकल्चर प्रणाली का इस्तेमाल करती है। इसके तहत सेटेलाईट से खेतों पर नजर रखी जाती है। यूपीएल की सहयोगी कंपनी एडवांटा ने स्वीटकार्न (मक्का) के कई उन्नतशील बीज तैयार किए हैं, जिसकी खेती देश के किसी भी हिस्से में की जा सकती है। यह सेहत के लिए भी अच्छा होता है। इस भारतीय कंपनी ने बीज उत्पादन के लिए दुनियाभर में 20 प्लांट लगाए हैं और अमेरिका में रिसर्च सेंटर भी शुरु किया है। उन्होंने बताया कि भारत में हाईब्रीड बीज के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं।

कृषि निर्यात में पिछड़े हैं हम

दुनिया के 130 देशों में कृषि से जुड़े व्यवसाय करने वाली यूपीएल के वाईस चेयरमैन विक्रम श्राफ का कहना है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है। इसके बावजूद कृषि निर्यात के मामले में हम नौवे क्रमांक पर हैं। उन्होंने कहा कि देश के किसानों की दशा सुधारने के लिए कृषि निर्यात बढ़ाने की जरूरत है और इसमें उन्नतशील बीज महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत सस्ता दुध उत्पादक देश भी है। लेकिन दुध निर्यात के मामले में भी हम काफी पीछे हैं। हमारा पड़ोसी देश सालाना 14 बिलियन डालर का दुध निर्यात करता है। उन्होंने कहा कि दुबई में ही 60 फीसदी भारतीय हैं, इसके बावजूद भारत से यहां अनाज-फल आदि का आयात ज्यादा मात्रा में नहीं होता। क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं है कि कब यह निर्यात रोक दिया जाए। श्राफ ने बताया कि गन्ने और बासमती चावल की खेती में काफी पानी बर्बाद होता है। पर अब ऐसी तकनीक विकसित हुई है जिससे कम पानी में यह खेती कर सकते हैं। गुजरात के आदिवासी इलाके डांग में हमारी कंपनी ने कम पानी में चावल की खेती का प्रशिक्षण दिया है।

Created On :   9 Dec 2018 6:33 PM IST

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