केबल चैनल के नए नियम से बढ़ा विवाद, आर्थिक संकट में ऑपरेटर

Increased dispute with the new rules of cable channels, operators in financial crisis
केबल चैनल के नए नियम से बढ़ा विवाद, आर्थिक संकट में ऑपरेटर
केबल चैनल के नए नियम से बढ़ा विवाद, आर्थिक संकट में ऑपरेटर

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  केंद्रीय दूरसंचार नियामक मंडल (ट्राई) द्वारा 154 रुपए में 100 चैनल देने की प्रस्तावित योजना में कई खामियां होने का दावा महाराष्ट्र केबल ऑपरेटर्स फाउंडेशन द्वारा किया गया है। संगठन के अनुसार ट्राई ने 100 चैनल देने की तैयारी की है, परंतु इसमें उपभोक्ता को अपनी मर्जी के चैनल चुनने की आजादी नहीं है। इसी तरह केबल ऑपरेटर और मल्टी सर्विस ऑपरेटर (एमएसओ) के बीच अभी भी कमिशन का विवाद कायम है। संगठन के विदर्भ टास्क कमेटी प्रमुख सुभाष बांते के अनुसार इस नई योजना से सरकार को प्रत्येक उपभोक्ता से प्रतिमाह 250 रुपए जीएसटी मिलेगा। इस अनुसार साल भर में 8500 करोड़ रुपए का जीएसटी मिलेगा। नागपुर शहर में 600 केबल ऑपरेटर है। इसमें किसी केबल ऑपरेटर को कुछ नहीं मिलेगा। जिससे उन पर भूखे मरने की नौबत आ गई है।

पसंद का चैनल चुनने की आजादी हो
ट्राई ने शुरुआत में 10 चैनलों के लिए 130 रुपए बेसिक दर रखी। इसमें फ्री टू एयर चैनलों का भी समावेश था। इसके अलावा अन्य चैनलों के लिए 50 पैसे से 19 रुपए तक रेट निर्धारित किए गए। इसमें 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगाया गया। ट्राई की यह योजना 1 जनवरी से ही लागू होनी थी, परंतु केबल ऑपरेटर, एमएसओ और ब्रॉडकास्टर के बीच के मतभेदों को देखते हुए इसे 1 फरवरी से लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस पूरी आपाधापी का फटका उपभोक्ताओं को लग रहा है। ग्राहकों को अपने पसंद के चैनल चुनने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, परंतु  वे केबल ऑपरेटर और एमएसओ के बीच की राजस्व की लड़ाई के बीच पीसे जा रहे हैं। संगठन ने ग्राहकों की जिज्ञासाओं को शांत करने में एमएसओ को नाकाम करार दिया है। 

राजस्व में हिस्सा नहीं
केबल टीवी में ब्रॉडकास्टर को विज्ञापन से तो एमएसओ को चैनल प्लेसमेंट, कैरेज और विज्ञापन से राजस्व मिलता है। इसी तरह केबल ऑपरेटरों को ग्राहकों से मिलने वाले मासिक शुल्क से पैसा मिलता है। ट्राई की नई योजना के तहत ग्राहकों से मिलने वाले शुल्क का बंटवारा ब्रॉडकास्टर और एमएसओ के बीच होगा। इसमें से एक प्रतिशत भी केबल ऑपरेटरों को नहीं दिया जाएगा। ऐसे में देशभर के केबल ऑपरेटर आर्थिक संकट में आ जाएंगे। 
 

Created On :   29 Jan 2019 11:56 AM IST

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