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बच्चों के सुधार गृह में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाए सरकार : हाईकोर्ट को निर्देश

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मानसिक रुप से कमजोर बच्चों के बाल सुधार गृहों के स्टाफिंग पैटर्न को लेकर 6 सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि सुधार गृहों में पर्याप्त स्टाफ न होने से बच्चों की देखरेख प्रभावित होती है। इसलिए सरकार इस पहलू पर जल्द से जल्द निर्णय ले। इससे पहले कोर्ट को बताया गया कि सुधार गृहों में केयर टेकर की कमी है जिससे सुधारगृहों का कामकाज प्रभावित होता है। इस बीच खंडपीठ ने कहा कि सरकार ने कहा कि बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान कार्यक्रम और शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू किया है।
मानसिक रुप से कमजोर बच्चों को भी सर्व शिक्षा अभियान का लाभ मिलना चाहिए। लिहाजा राज्य के मुख्य सचिव इस संबंध में राज्य के शिक्षा विभाग के सचिव को जरुरी निर्देश जारी करे। ताकि मानसिक रुप से कमजोर बच्चों की शिक्षा को लेकर ठोस कदम उठाए जा सके। खंडपीठ ने कहा कि पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून में भी ऐसे बच्चों की शिक्षा के लिए प्रावधान किया गया है। खंडपीठ के सामने बाल सुधार गृहों की स्थिति व वहां पर रहनेवाले मानसिक रुप से कमजोर बच्चों के मुद्दे को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है।
सुनवाई के दौरान राज्य के सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी ने मामले को लेकर हलफनामा दायर किया। हलफनामे में विभाग की ओर से सुधारगृहों में रहने वाले मानसिक रुप से कमजोर बच्चों को जरुरी सुविधाएं प्रदान करने को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी दी गई। इस दौरान मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रही प्रोफेसर आशा वाजपेयी ने कहा कि सुधारगृहों में स्टाफ की कमी है इसके अलावा बच्चों की शिक्षा की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाने की आवश्यक्ता है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने उपरोक्त निर्देश दिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।
Created On :   6 Oct 2018 5:52 PM IST