स्तन कैंसर के मामले में पश्चिमी देशों से आगे निकला भारत, कम उम्र के हो रहे शिकार

India compared to Western countries in the case of breast cancer at an early age
स्तन कैंसर के मामले में पश्चिमी देशों से आगे निकला भारत, कम उम्र के हो रहे शिकार
स्तन कैंसर के मामले में पश्चिमी देशों से आगे निकला भारत, कम उम्र के हो रहे शिकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले 25 वर्षों में कम उम्र में स्तन कैंसर के मामले में पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत आगे है। 40 से 50 वर्ष आयु सीमा में भारत में स्तन कैंसर का प्रमाण 48 प्रतिशत है, जबकि पश्चिमी देशों में 50 से 60 वर्ष आयु सीमा की महिलाओं में स्तन कैंसर से पीड़ितों का प्रमाण अधिक है। 

भारत में औसतन स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या 1000 महिलाओं में 28 है, जबकि पश्चिमी देशों में यह आंकड़ा 4 गुणा अधिक यानी 1000 महिलाओं में 95 महिलाएं पीड़ित हैं, परंतु भारत में मौत का आंकड़ा पश्चिमी देशों के मुकाबाले ज्यादा है। रोग निदान में विलंब इसका मुख्य कारण है। पश्चिमी देशों में पहले और दूसरे स्टेज में रोगनिदान किया जाता है। वहीं भारत में तीसरे और चौथे स्टेज में पहुंचने पर मरीज अस्पताल पहुंचते हैं।

जनजागरण के अभाव में स्तन कैंसर से मरने वालों का आंकड़ा कम करने के लिए 7 अक्टूबर को राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज कैंसर अस्पताल में जनजागरण कार्यक्रम का आयोजन किए जाने की जानकारी अस्पताल के संचालक डॉ. सत्यजीत दासगुप्ता ने पत्रकारों से वार्ता में दी। अस्पताल के दादा विकिमॉल श्राफ सभागृह में वे पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। भारत में शहरों में स्तन कैंसर के मरीजों का प्रमाण अधिक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में गर्भाशय के मरीजों की संख्या अधिक है। शहरों में स्तन कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक रहने के पीछे जीवनशैली, विवाह में विलंब, स्तनपान टालने की प्रवृत्ति आदि कारण हो सकते हैं। हालांकि ठोस कारण का पता नहीं लग पाया है। 

कैंसर के आंकड़े अविश्वसनीय
भारत में कैंसर के मरीजों का डाटा संग्रहित करने की व्यवस्था नही हैं। जो आंकड़े पेश किए जाते हैं, वह सिर्फ सरकारी अस्पतालों के हैं। 60 से 70 प्रतिशत मरीज निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं। जारी किए जाने वाले आंकड़ों में निजी अस्पतालों के आंकड़ों का समावेश नहीं है। इसलिए भारत में कैंसर के जारी किए जाने वाले आंकड़ों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। सरकारी और निजी अस्पतालों के आंकड़ों को संग्रहित करने पर यह आंकड़ों दो गुणा से ज्यादा हो सकता है। पत्र परिषद में डॉ. सत्या, डॉ. प्रसन्ना जोशी, डॉ. राहुल आकरे, डॉ. बी. के. शर्मा उपस्थित थे।

Created On :   6 Oct 2018 4:39 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story