मजदूरों की कमी से उद्योगों की रफ्तार धीमी, 3000 इकाइयों में से आधी में ही शुरू हुआ काम

Industry slows down due to labor shortage, work started in half of 3000 units
मजदूरों की कमी से उद्योगों की रफ्तार धीमी, 3000 इकाइयों में से आधी में ही शुरू हुआ काम
मजदूरों की कमी से उद्योगों की रफ्तार धीमी, 3000 इकाइयों में से आधी में ही शुरू हुआ काम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉकडाउन के कारण तमाम उद्योग धंधों पर विपरीत असर पड़ा है। कारोबार अगर शुरू भी हुआ है, तो वहां उतनी रफ्तार से काम नहीं हो सकता जितनी रफ्तार से पहले हुआ करता था। शहर में छोटी, बड़ी और मध्यम मिलाकर 3000 इकाइयां हैं। वर्तमान में सिर्फ 50 प्रतिशत इकाइयों में ही काम शुरू हुआ है। कई उद्यमियों ने  जोखिम उठाकर कारखाना शुरू भी किया, लेकिन माल की खपत के  लिए बाजार नहीं खुल रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या श्रमिकों का पलायन है। शहर में अन्य राज्यों से काम करने आए श्रमिक कोरोना संक्रमण के चलते अपने गांव लौट चुकेे हैं। उनमें संक्रमण का डर इतना है कि रोकने पर भी नहीं रुक रहे हैं। उद्यमियाों का मानना है कि उद्योगों की गाड़ी पटरी पर आने में कम से कम 6 माह से अधिक का समय लगेगा। 

स्थानीय लोगों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
कोरोना के कारण श्रमिक अपने-अपने गांव की ओर पलायन कर चुके हैं। जिलाधिकारी  रवींद्र ठाकरे के साथ हुई बैठक में एक पोर्टल बनाने की चर्चा हुई कि जो लोग बाहर से यहां आए हैं, वो यहां अगर काम करना चाहते हैं, तो कर सकते हैं। बुटीबोरी, हिंगना एमआईडीसी में ट्रेनिंग सेंटर्स बनाने की बात भी चल रही है। कोशिश की जा रही है कि कलमेश्वर में भी ट्रेनिंग सेंटर खुले।  इन ट्रेनिंग सेंटरों में स्थानीय लोगों को छोटे-छोटे कामों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नई योजनाओं से उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। उद्योगों का कारोबार पटरी पर आने में 3 माह से अधिक का समय लग सकता हैं।
- सुरेश राठी, अध्यक्ष, विदर्भ इंडस्ट्री एसोसिएशन

बुटीबोरी में 20 से 30%ही हो रहा काम
लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर अपने-अपने गांव लौट चुके हैं। बुटीबोरी में ही काम करने वाले प्रवासी मजूदरों की संख्या लगभग 8 से 10 हजार हैं। इन दिनों बुटीबोरी की 150 इकाइयों में 20 से 30 प्रतिशत ही काम हो रहा है। बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर यहां काम करते हैं। माल की उठा-पटक करने में भी परेशानी आ रही है। कई मजदूर आस-पास के जिले जैसे- वर्धा, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर के भी हैं, जो कोरोना के कारण पलायन कर चुके हैं। स्थानीय मजदूर हैं, वे ही काम कर रहे हैं। बुटीबोरी में इंजीनियरिंग यूनिट, रॉ मटेरियल, टॉवर मैन्युफैक्चरिंग, पैकेजिंग, फार्मास्युटिकल आदि की इकाइयां हैं।
- प्रदीप खंडेलवाल, अध्यक्ष, बुटीबोरी एसोसिएशन फेडरेशन

मिहान में भी 50 प्रतिशत ही काम शुरू
इकाइयों में श्रमिक नहीं हैं। तैयार माल को बाजार में कहां बेचें, यह भी समस्या है। सप्लाई चेन बाधित हो गई है। मिहान में चौथे चरण के लॉकडाउन से काम और भी प्रभावित हो गया है। मिहान की इकाइयांे में 50 प्रतिशत ही काम हो रहा है। उद्योगों  में रॉ मटेरियल की भी समस्या है। इस समस्या से उभरने में लगभग 6 माह का वक्त लगेगा। उद्योगों की गाड़ी पटरी पर आने के लिए 6 माह से अधिक का समय लगेगा। कोरोना के कारण श्रमिकों ने अपने गांव की ओर पलायन कर लिया है। 
- मनोहर भोजवानी, अध्यक्ष, मिहान इंडस्ट्री एसोसिएशन

प्रमुख इकाइयां
 शहर में स्टील इंडस्ट्री, प्लास्टिक फैक्टरी, माइनिंग, टेक्सटाइल, पेपर इंडस्ट्री, राइस मिल, दाल मिल, इंजीनियरिंग यूनिट, रॉ मटेरियल, टायर मैन्युफैक्चरिंग, फूड, पेपर इंडस्ट्री, ट्रांसमिशन टाॅवर आदि का कारोबार प्रमुखता से होता है।


 

Created On :   20 May 2020 8:43 AM GMT

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