160 रुपए में तैयार किया बबल सी पैप उपकरण, जुगाड़ से होगा मरीजों का इलाज

Innovation by dr jm shrivastav for the treatment of breathlessness
160 रुपए में तैयार किया बबल सी पैप उपकरण, जुगाड़ से होगा मरीजों का इलाज
160 रुपए में तैयार किया बबल सी पैप उपकरण, जुगाड़ से होगा मरीजों का इलाज

डिजिटल डेस्क,छिंदवाड़ा। मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने सांस की तकलीफ से जूझ रहे बच्चों के लिए दो उपकरण इजाद किए हैं। इन उपकरणों के जरिए अस्थमा और निमोनिया पीडित बच्चों को आसानी से इलाज दिया जा सकता है। खास बात यह कि उपकरण जुगाड़ तकनीक से महज 160 रुपए खर्च कर बनाए गए हैं। वेस्ट मटेरियल का उपयोग कर बनाए गए बबल सी पैप की कम्प्यूटराइज मशीन बाजार में कीमत करीब ढाई लाख रुपए है। जबकि स्पेसर उपकरण 15 सौ रुपए में उपलब्ध हो पा रहा है। मेडिकल के प्रोफेसर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.जेएम श्रीवास्तव ने उक्त कीमती उपकरण का सस्ता तरीका इजाद किया है। उनके मुताबिक कई बार महंगे उपकरण उपलब्ध नहीं होते हैं, जिससे इलाज में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी के चलते उन्होंने वेस्ट मटेरियल से उपकरण बनाने का प्रयास किया। जिसके प्रयोग भी किए गए। सफलता पूर्वक उपकरण काम कर रहे हैं।
बबल सी पैप मशीन का उपयोग
डॉ जेएम श्रीवास्तव ने बताया कि बबल सी पैप मशीन का उपयोग निमोनिया से पीडि़त बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए किया जाता है। उपकरण बनाने उन्होंने स्लाइन बॉटल और ऑक्सीजन पाइप का उपयोग किया है। ऑक्सीजन पाइप के एक छोर को ऑक्सीजन सिलेंडर से जोड़ा जाता है और उसका दूसरा सिरा स्लाइन बॉटल से जुड़ा होता है। निमोनिया से पीडि़त बच्चों को ऑक्सीजन देने के लिए तैयार इस उपकरण में लगी स्लाइन बॉटल ऑक्सीजन सप्लाई में प्रेशर जनरेट करती है जिससे बच्चे को सांस लेने में तकलीफ नहीं होती। जिला अस्पताल में भर्ती एक दर्जन से अधिक निमोनिया पीडि़त बच्चों को ऑक्सीजन देने में इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। सांस की बीमारी से पीडि़त बच्चों को ऑक्सीजन देने में बबल सी पैप काफी उपयोगी हो रही है।
 अस्थमा रोगी के लिए बनाया स्पेसर-
अस्थमा रोगियों को सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसी स्थिति में मरीज इनहेलर लेते है लेकिन बच्चों को इनहेलर लेने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे बच्चों के लिए जुगाड़ से शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.जेएम श्रीवास्तव ने स्पेसर उपकरण बनाया है। एक हजार रुपए कीमत का स्पेसर महज एक खाली पानी की बॉटल और डिस्पोजल में तैयार हो रहा है। डॉ.श्रीवास्तव ने बताया कि जिन बच्चों को इनहेलर देने की आवश्यकता होती है उन्हें स्पेसर के जरिए इनहेलर आसानी से दिया जा सकता है। स्पेसर तैयार करने एक खाली बॉटल के अगले सिरे में डिस्पोजल और पिछले हिस्से में इनहेलर लगा दिया जाता है। जिससे इनहेलर की दवा सीधे बच्चे को दी जाती है। अस्थमा रोगी के लिए यह उपकरण काफी उपयोगी है।
चिकित्सकों को दी ट्रेनिंग-
गायनिक वार्ड स्थित सभाकक्ष में पिछले दिनों प्रोफेसर डॉ जेएम श्रीवास्तव ने मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी। डॉ श्रीवास्तव ने अपने द्वारा बनाए गए उपकरणों के साथ मरीजों को इसका लाभ कैसे दिया जा सकता है इसकी जानकारी दी गई।

 

Created On :   4 Feb 2019 1:13 PM IST

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