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अस्पतालों में घटिया कोरोना वायरस किट सप्लाई की हो जांच

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने पुणे और जालना में खराब गुणवत्ता की आरटी-पीसीआर कोरोना वायरस जांच किट वितरित किए जाने के मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है। शनिवार को दरेकर ने कहा गुणवत्ता के मापदंडों पर खरी नहीं उतरने वाली किट की आपूर्ति करने वाली कंपनी और राज्य के चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के दोषी अधिकारियों के खिलाफ सदोष मानव वध का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। प्रदेश भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में दरेकर ने दोनों विभाग के संबंधित दोषी अधिकारियों को निलंबित करने की मांग की। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी भेजा है।
दरेकर ने कहा कि पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान ने 7 अक्टूबर को रिपोर्ट दिया था कि इस्तेमाल में लाई गई किट खराब गुणवत्ता की है। इसके बावजूद पुणे में 10 अक्टूबर तक जांच के लिए इस किट का इस्तेमाल किया गया है। दरेकर ने कहा कि खराब गुणवत्ता की किट के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदारी लेने से बच रहा है। दोनों विभाग के मंत्री एक-दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि किट खरीदी का मामला चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन आता है जबकि चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित देशमुख का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग जिम्मेदार है। दरेकर ने कहा कि खराब गुणवत्ता के किट का इस्तेमाल किए जाने से कोरोना संक्रमितों की संख्या 25 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत हो गई। इसका मतलब है कि लगभग 5 लाख खराब किट का इस्तेमाल किया गया है।
मुख्यमंत्री मातोश्री से निकलने के लिए तैयार नहीं
दरेकर ने कहा कि प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फोन करके केंद्र की ओर से हर संभव मदद दिए जाने का भरोसा दिया है। लेकिन मुख्यमंत्री किसानों के फसलों के नुकसान के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए मातोश्री से बाहर निकलने को तैयार नहीं हैं। सरकार के मंत्री किसानों के बीच नजर नहीं आ रहे हैं। इसलिए विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस 19 अक्टूबर से आपदा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। वे इस दौरे की शुरुआत पुणे के बारामती से करेंगे। मैं भी उनके साथ मौजूद रहूंगा।
दरेकर ने कहा कि हमने राज्य सरकार से प्रदेश में गीला सूखा घोषित करने की मांग की है लेकिन सरकार ने अभी तक पंचनामा भी पूरा नहीं किया है। इसी बीच एक सवाल के जवाब में दरेकर ने कहा कि राज्य सरकार का जलयुक्त शिवार अभियान के कामों की खुली जांच कराने का फैसला और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सिंचाई घोटाले की जांच करने के फैसले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी जांच एजेंसी को लगता है कि जांच अधूरी है तो वह अपने स्तर पर फैसला ले सकती है।
Created On :   17 Oct 2020 6:07 PM IST