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3 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म की मंशा साबित नहीं हुई, कोर्ट ने किया बरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। तीन वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के आरोपी युवक को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने ठोस सबूतों के अभाव में निर्दोष करार दिया है। न्या. नितीन सूर्यवंशी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि, इस प्रकरण में सभी पक्षों को सुनने के बाद न तो यह सिद्ध हो सका है कि, आरोपी ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया है और न ही यह सिद्ध हुआ है कि, उसकी दुष्कर्म की कोई मंशा है। हां, कोर्ट ने इसे धारा 354 के तहत विनयभंग का मामला करार देते हुए आरोपी लोकेश सूर्यकार (नि. घाटेम्मनी,गोंदिया) द्वारा काटी गई 3 माह की जेल की सजा और 1 हजार रुपए जुर्माने को पर्याप्त मानकर उसकी शेष सजा रद्द कर दी।
यह था आरोप
पुलिस में दर्ज मामले के अनुसार यह घटना 5 फरवरी 2009 की है। तीन वर्षीय बालिका अपने घर के बाहर खेल रही थी, तब आरोपी वहां पहुंचा और बालिका को बिस्कुट दिलाने के बहाने अपने घर ले गया और दुष्कर्म किया। बालिका ने लौटकर परिजनों को अपने साथ हुई हरकत बताई, तो आरोपी के खिलाफ आमगांव पुलिस थाने में धारा 354 और 376 (2)(एफ) के तहत मामला दर्ज किया गया। गोंदिया अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने युवक को दोषी करार देकर एक वर्ष जेल और एक हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसे युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इस मामले में हाईकोर्ट ने माना कि, सरकारी पक्ष कोई मेडिकल रिपोर्ट, सीए रिपोर्ट, चश्मदीदों व मामले से संबंधित व्यक्तियों की गवाही पेश नहीं कर सका।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला
सर्वोच्च न्यायालय के अमनकुमार व अन्य के प्रकरण के फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, ऐसे जघन्य अपराधों में पहले आरोपी मंशा तैयार करता है और फिर अपराध को अंजाम देता है। कानून यह कहता है कि, यदि परिस्थितियों के कारण आरोपी अपराध नहीं कर पाया, लेकिन अदालत में उसकी अपराध करने की मंशा साबित होती है, तो धारा 511 के तहत उसे सजा दी जा सकती है, लेकिन इस मामले में सरकारी पक्ष अपराध करने की मंशा तक स्पष्ट नहीं कर सका। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।
Created On :   9 July 2021 11:51 AM IST