बाघ की खाल तस्करी करनेवाला अंंतरराज्यीय गिरोह गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। बाघों का जिला नाम से चंद्रपुर मशहूर है। देश में सर्वाधिक बाघों की संख्या चंद्रपुर के ताड़ोबा में है। लेकिन जंगल का क्षेत्र कम पड़ने से आए दिन बाघ शहरों की ओर विचरण कर रहे हैं, जिससे बाघों के शिकार की घटनाएं बढ़ गई हैं। ऐसे ही बाघ का शिकार कर बाघ की खाल की तस्करी करने वाले अंंतरराज्यीय गिरोह को चंद्रपुर वनविभाग ने रविवार 2 अप्रैल को जाल बिछाकर जिवती तहसील के पाटगुड़ा गांव में पकड़ा। इस गिरोहों में 6 आरोपियों का समावेश है।
वनविभाग ने इस मामले में पाटागुड़ा निवासी विकास माधव गोटमुकले, केरेगुडा निवासी ज्योतिराम भिकू पंद्रराम, धोंडीराम लिंबू चीकराम, आदिम्याल निवासी तिरुपति महादू चीकराम, संदीप लिंगु कोरांगे तथा नेटनूर इसरू सोमू मडावी को हिरासत में लेकर कड़ी जांच शुरू कर दी है। सभी आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39 (3) डब्ल्यू आर डब्ल्यू 57 तथा 52/48 ए आर डब्ल्यू 51 अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। पिछले कई दिनों से यह गिरोह वनविभाग को चकमा दे रहा था। दो माह पूर्व से वनविभाग इस गिरोह की तलाश में था। इन आरोपियों से एक बाघ की खाल जब्त की गई। तेलंगाना राज्य के आसीफाबाद जिले से जिवती तहसील के पाटगुड़ा में बाघ की खाल की अंंतरराज्यीय गिरोह द्वारा तस्करी होने की गुप्त जानकारी वनविभाग को मिली थी।
सूचना के आधार पर सहायक वनसंरक्षक श्रीकांत पवार व वनपरीक्षेत्र अधिकारी संदीप लंगडे ने तहसील के पाटागुड़ा गांव में जाल बिछाकर गिरोह में शामिल सभी 6 आरोपियों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया। इस बाघ का शिकार आरोपियों ने तेलंगना राज्य के आसिफाबाद समीप क्षेत्र में की। बाघ के खाल की तस्करी करने तेलंगना व महाराष्ट्र की सीमा पर जिवती तहसील स्थित पाटागुड़ा गांव में पहुंचे थे। इसी दौरान वनिवभाग ने कार्रवाई को अंजाम दिया। मामले की जांच मुख्य वनसंरक्षक डॉ. जीतेंद्र रामगावकर, उपवनसंरक्षक मध्य चांदा श्वेता बोड्डू के मार्गदर्शन में सहायक वनसंरक्षक श्रीकांत पवार व वनपरीक्षेत्र अधिकारी संदीप लंगडे कर रहे हैं। इस अवसर पर एस.वी. सावसागडे, अनंत राखुंडे, के. बी. कडकाडे, डी.ए. राऊत, वनरक्षक संतोष आलाम, संजय गरमाडे, प्रदीप मरापे, बालाजी बिंगेवाड ने कार्रवाई को अंजाम दिया। हालांकि यह गिरोह तेलंगाना राज्य महाराष्ट्र राज्य की सीमा पर स्थित जिवती तहसील में किसे बचने के लिए यह खाल ला रहे थे। यह बाघ की खाल चंद्रपुर जिले से कहां पहुंचाई जा रही थी। ऐसे कई सवाल इस मामले को लेकर उठ रहे हंै। लेकिन खबर लिखे जाने तक इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। आगे की जांच वनिवभाग कर रहा है।
तीन माह में 9 बाघ की मौत
इस वर्ष के केवल तीन माह में 9 बाघों की मौत होने से वन्यप्रेमियों द्वारा चिंता व्यक्त की जा रही है। इसके पूर्व 3 जनवरी को ब्रह्मपुरी तहसील के मेंडकी के एक कुएं में गिरने से बाघ की मौत हो गई, 4 जनवरी को सावली में पिंजरे में कैद हुए बाघ की गोरेवाड़ा स्थित वन्यजीव संशोधन व प्रशिक्षण केंद्र में 14 जनवरी को उपचार के दौरान मौत हो गई, 15 जनवरी को भद्रावती तहसील के एक खेत में 6 वर्षीय बाघिन का शव बिजली के तारों में उलझा मिला था। 6 फरवरी को मूल तहसील के खेत में बिजली का करंट लगने से बाघिन की मौत हो गई थी, 11 फरवरी को वरोरा पाेथरा नदी में यह मरा हुआ बाघ मिला था, 26 फरवरी को चंद्रपुर बफर के जंगल में एक मरा हुआ बाघ मिला, 5 मार्च को ताड़ोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प के चंद्रपुर (बफर) वनपरीक्षेत्र के नियत क्षेत्र वरवट कक्ष क्रं. 386 में (टी-62) बाघिन मृत मिली थी। 25 मार्च को धाबा अंतर्गत सुकवाशी डोंगरगांव के जंगल में एक बाघिन और शावक का शव सड़ी, गली अवस्था मिला था। तीन महीने के समय में मृत बाघों की कुल संख्या 9 हो गई है।
Created On :   3 April 2023 2:17 PM IST