- Home
- /
- पुलिस विभाग की गोपनीय सूचना को लीक...
पुलिस विभाग की गोपनीय सूचना को लीक करने की जांच जरुरी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा है कि पुलिस महकमे की गोपनीय सूचना को सार्वजनिक करना काफी गंभीर व चिंता का विषय है। इस मामले की जांच की जरूरत है। शनिवार को राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरिस खंबाटा ने फोन टैपिंग मामले से जुड़ी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला की याचिका का विरोध करते हुए यह दावा किया।
हाईकोर्ट में शुक्ला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिसमें शुक्ला ने मामले को लेकर साइबर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान श्री खंबाटा ने दावा किया कि शुक्ला की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। क्योंकि मामले को लेकर पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें शुक्ला के नाम का उल्लेख नहीं है। क्योंकि साइबर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
शनिवार को शुक्ला की याचिका न्यायमूर्ति एस एस शिंदे व न्यायमूर्ति एन जे जमादार की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने फोन टैपिंग मामले को लेकर विवादों में घिरी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को पुलिस की कड़ी कार्रवाई से मिली राहत को 13 सितंबर 2021 तक के लिए बढ़ा दिया। इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर शुक्ला की याचिका पर राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।इस प्रकरण में शुक्ला इंडियन टेलीग्राफ ग्राफ कानून व ऑफिशियल सीक्रेट कानून के तहत आरोपों का सामना कर रही हैं। उन पर पुलिस तबादले व तैनाती से जुड़ी गोपनीय सूचना को सार्वजनिक करने का आरोप है।
कथित अवैध फोन टैपिंग का मामला तब सामने आया था जब शुक्ला राज्य खुफिया विभाग की प्रमुख थी। फिलहाल शुक्ला हैदराबाद में सीआरपीएफ के दक्षिण जोन की अतिरिक्त महानिदेशक हैं। खंडपीठ के सामने शुक्ल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी की दलीलें पूरी हो गई हैं। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर दावा किया कि राज्य सरकार मेरी मुवक्किल को इस मामले में बली का बकरा बनाकर कोर्ट की आंखों में धूल झोंक रही हैं और इस प्रकरण में राज्य के मौजूदा मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को बचाने की कोशिश की जा रही है। क्योंकि कुंटे ने ही गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहते मेरी मुवक्किल को फोन टैपिंग की मंजूरी दी थी। मामले से जुड़ी एफआईआर पुलिस महकमे में तबादले व तैनाती में होनेवाले भ्रष्टाचार को दबाने का प्रयास है। एफआईआर में यह दुर्भावना साफ दिख रही है। वहीं श्री खंबाटा ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील सरकार पर अशोभनीय आरोप लगाकर मामले को एक अलग दिशा देना चाहते हैं। यह डेटा चोरी व गोपनीय सूचनाएं लीक करने का मामला है। जो काफी गंभीर है। शुक्ला की रिपोर्ट काफी गोपनीय थी। इस तरह से खंडपीठ ने मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर सुनवाई 14 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी
Created On :   21 Aug 2021 7:42 PM IST