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सिंचाई घोटाला: HC से मिली आरोपियों को जमानत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ के बहुचर्चित सिंचाई घोटाला प्रकरण में राज्य सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने सोमवार को मोखाबर्डी प्रकल्प में भ्रष्टाचार के आरोपी आर. जे. शाह प्राइवेट लिमिटेड और डी. ठक्कर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक कालिंदी राजेंद्र शाह, तेजस्विनी राजेंद्र शाह, प्रवीण नाथालाल ठक्कर, विशाल प्रवीण ठक्कर, अरुण कुमार गुप्ता, रमेश कुमार सोनी और वरिष्ठ विभागीय लेखाधिकारी चंदन जिभकाटे को जमानत दी है। कोर्ट ने चंदन जिभकाटे को 1 लाख और शेष सभी को पांच-पांच लाख रुपए के निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत दी है।
निचली अदालत से खारिज हो गई थी जमानत
बता दें कि निचली अदालत में आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हालांकि इस प्रकरण राज्य सरकार ने आरोपियों की जमानत अर्जी का पुरजोर विरोध किया था। सरकार के अनुसार, आरोपियों को जमानत देने पर सबूतों से छेड़छाड़ हो सकती है, लिहाजा जमानत देना उचित नहीं होगा। लेकिन मामले से जुड़े विविध पहलू सुनकर कोर्ट ने उन्हें जमानत देने का फैसला लिया। मामले में आरोपियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मार्डिकर और अधिवक्ता सुमित जोशी ने पक्ष रखा।
यह है मामला
भ्रष्टाचार प्रतिबंधक विभाग (एसीबी) ने सिंचाई घोटाले में 12 आरोपियों के खिलाफ करीब 4500 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। इसके बाद आरोपियों ने जमानत याचिका दायर की थी। सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सरकारी अधिवक्ता नितीन तेलगोटे ने आरोपियों की जमानत अर्जी पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने दलील दी कि अब तक अर्जदारों मंे से किसी भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है, न ही उन्होंने समर्पण किया है। ऐसे में तकनीकी तौर पर यह जमानत अर्जी ही गलत है। इसके बाद सत्र न्यायालय ने आरोपियों की अर्जी खारिज कर दी थी। इन आरोपियों के खिलाफ खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम कलम 13(1)(क)(ड), 13(2), भादंवि की धारा 20, 467, 468, 471, 109, 120(ब) के तहत अपराध दर्ज कर न्यायालय में चार्जशीट प्रस्तुत की गई है। सिंचाई परियोजना के तहत बन रहे मोखाबर्डी लिफ्ट सिंचाई प्रकल्प के बैक टेल कैनल के निर्माणकार्य में बड़ी हेरा-फेरी पाई गई थी। आर.जे. शाह कंस्ट्रक्शन कंपनी और ठक्कर कंस्ट्रक्शन कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए वीआईडीसी के अधिकारियों ने नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाईं। 51 करोड़ 9 लाख 57 हजार 984 रुपए के कामकाज का ठेका दोनों कंपनियों को दिया गया था।
Created On :   13 March 2018 11:21 AM IST