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मरीज ठीक होने की गारंटी देना संभव नहीं - HC

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि, कोई भी चिकित्सक मरीज को ठीक होने की गारंटी नहीं दे सकता। चिकित्सक की जिम्मेदारी सिर्फ इतनी है कि, वह मरीज के इलाज करने के लिए सक्षम है और उसके पास जरूरी कौशल है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने यवतमाल जिले के पांढरकवड़ा के चिकित्सक डॉ. राजरतन मून के खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए।
दरअसल, याचिकाकर्ता के खिलाफ 6 अगस्त 2013 को एफआईआर दायर की गई थी। उनके ही क्षेत्र की एक युवती ने प्रेम प्रसंग के चलते गर्भधारण कर लिया था। उसे 4 माह के बाद इसका अहसास हुआ। ऐसे में उसने याचिकाकर्ता से संपर्क किया। 5 अगस्त 2013 को डॉ. मून के अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ, लेकिन ऑपरेशन के बाद उसकी हालत बिगड़ गई। जिसके बाद डॉ. मून ने उसे यवतमाल रेफर किया, लेकिन यवतमाल ले जाते समय रास्ते में उसकी मृत्यु हो गई। ऐसे में पुलिस ने चिकित्सक डॉ. मून और उनके ड्राइवर पोटू आत्राम के खिलाफ भादंवि की धारा 304, 314 और 316 व अन्य के तहत के तहत मामला दर्ज किया।
चिकित्सक पर आरोप है कि, उनके इलाज के कारण ही गर्भवती युवती की मृत्यु हुई, लेकिन चिकित्सक के बचाव में उनके अधिवक्ता राहिल मिर्जा ने कोर्ट में दलील दी कि, नियमानुसार जांच अधिकारी को पहले इस प्रकरण में मेडिकल बोर्ड से विशेषज्ञ सलाह लेनी चाहिए थी, उसके बाद ही चिकित्सक पर मामला दर्ज होना चाहिए था। मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह निर्णय दिया है।
Created On :   10 Dec 2020 3:05 PM IST