सबका पोषण करना मनुष्य की जिम्मेदारी, प्रकृति को न छेड़ें 

It is the responsibility of man to nurture all, do not disturb nature
सबका पोषण करना मनुष्य की जिम्मेदारी, प्रकृति को न छेड़ें 
सबका पोषण करना मनुष्य की जिम्मेदारी, प्रकृति को न छेड़ें 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली स्वीकारने का आह्वान करते हुए आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि, सबका पोषण करना मनुष्य की जिम्मेदारी है। प्रकृति को न छेड़ें। प्रकृति को छेड़ने का ही भयावह परिणाम सामने आया है। हिंदू स्प्रिच्युअल सर्विस फाउंडेशन ने रविवार को पर्यावरण दिन मनाया। इस मौके पर प्रकृति वंदन कार्यक्रम के तहत सरसंघचालक ऑनलाइन संबोधन दे रहे थे।

भारतीय पूर्वजों व हिंदू ग्रंथों का जिक्र करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि, प्रकृति का सम्मान करते हुए जीने का संस्कार हमें विरासत में मिला है। पूर्वज कहते थे कि, पेड़ को शाम को नहीं छेड़ना चाहिए। पेड़ों को मत छेड़ों। पेड़ सो जाते हैं। उनमें जीव हैं। सृष्टि का हिस्सा है। एनिमल किंगडम है। वैसे ही प्लांट किंगडम है। प्रकृति केवल मनुष्य के उपभोग के लिए नहीं है, लेकिन इस मामले में 200 से 250 वर्ष में मनुष्य में अधिक भटकाव आया। माना जाने लगा कि, प्रकृति को जीतकर मनुष्य को जीना है। अब दुष्परिणाम सामने है, तो पर्यावरण संरक्षण की बातें हो रही हैं। असल में सबका पोषण करना मनुष्य की जिम्मेदारी है। 


 

Created On :   31 Aug 2020 3:04 PM IST

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