पटरी से उतर गई रेलवे डिपार्टमेंट की 'इज्जत'

Izzat scheme of railway is dull due to carelessness
पटरी से उतर गई रेलवे डिपार्टमेंट की 'इज्जत'
पटरी से उतर गई रेलवे डिपार्टमेंट की 'इज्जत'

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रेलवे की महत्वाकांक्षी योजना ‘इज्जत’ को रेल यात्री तवज्जो नहीं दे रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर यात्रियों को एक्सप्रेस ट्रेनों में यात्रा करने के लिए यह योजना शुरू की गई थी, लेकिन इस योजना के बारे में ज्यादातर यात्रियों को जानकारी तक नहीं है। यहां तक कि रेलवे के अधिकारियों को भी इसकी पूरी जानकारी नहीं है। गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले यात्रियों को सुविधा देने के लिए यह योजना बनायी गई थी।

देश के मध्य में स्थित सबसे बड़े रेलवे जंक्शन नागपुर में इज्जत योजना बेपटरी होने जा रही है। 2010 में इस योजना की शुरुआत हुई थी। उस समय से अब तक नागपुर में केवल 108 पास बने हैं। यानि औसत 2 महीने में 3 पास बनते हैं। सूत्रों का दावा है कि जिन लोगों ने यह पास बनवाया है, वे हर माह नवीनीकरण करवाते हैं। इस योजना के बारे में लोगों को जानकारी नहीं होने से नागपुर में इसे प्रतिसाद नहीं मिल रहा। वहीं मध्य रेल नागपुर की ओर से इसके प्रचार-प्रसार की कोई व्यवस्था नहीं की गई। यही कारण है कि अनभिज्ञता के चलते कई योजनाओं को पलीता लग जाता है।

इनको मिलता है योजना का लाभ

इस योजना में जिनकी मासिक आय 1500 रुपए से अधिक नहीं है, उन्हें इसका लाभ दिया जाता है। ऐसे यात्रियों को 150 किलोमीटर तक यात्रा करने के लिए मात्र 30 रुपए में मासिक पास दिया जाता है। इसके लिए यात्री को नियमानुसार दस्तावेज देने पड़ते हैं। इज्जत योजना के आवेदन फॉर्म के साथ तहसीलदार, उपजिलाधिकारी द्वारा प्रमाणित आय का प्रमाणपत्र देना पड़ता है। इसके अलावा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का प्रमाणपत्र, आवास प्रमाणपत्र और फोटो पहचान पत्र लगाना पड़ता है। इसके आधार पर इज्जत योजना का पास जारी किया जाता है। 6 सालों में यहां केवल 108 पास बने हैं। पिछले 3 महीने में केवल 6 पास जारी किए जाने की जानकारी है।

ऐसे हुआ इज्जत योजना में घोटाला

इज्जत योजना के पासेस बनाने के लिए पहले क्षेत्र के सांसद से यह प्रमाणित करना पड़ता था कि आवेदक गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहा है। इस नियम के कारण योजना में धांधली होने के मामले सामने आने लगे। देशभर की राजनीतिक पार्टियां और रसूखदार लोग इसका लाभ उठाने लगे थे। शिकायतों के बाद जांच की गई थी। जांच के दौरान फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। इसके बाद रेलवे ने नियम में बदलाव किया। अब इसके आवेदन फॉर्म के साथ बीपीएल का राशनकार्ड की छाया प्रति लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।

इसके अलावा मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल आदि की छाया प्रति भी लगाना आवश्यक है। इसके साथ ही संबंधित एसडीएम, बीडीओ या तहसीलदार द्वारा जारी आय का प्रमाणपत्र देना पड़ता है। इसके बाद ही इज्जत योजना का पास बनता है। पहले इस योजना अंतर्गत यात्रा की दूरी 100 किलोमीटर थी, बाद में यह 150 किलोमीटर कर दी गई। इसका मासिक शुल्क पहले 25 रुपए था, अब 30 रुपए कर दिए गया है। अब इसके लिए किसी राजनेता के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।

क्या कहते हैं अधिकारी

मध्य रेल नागपुर के जनसंपर्क अधिकारी पी.डी. पाटील ने कहा कि भारतीय रेल कोई भी योजना की घोषणा करता है तो उसका प्रचार-प्रसार भी किया जाता है। समय के साथ योजनाएं पुरानी हो जाने पर उसे सब भूल जाते हैं। मध्य रेल नागपुर की ओर से इज्जत योजना को लेकर अलग से कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया है। योजना के संबंध में पूछताछ करने लोग आएंगे तो हम उन्हें पूरी जानकारी देंगे। इसके लिए अलग से व्यवस्था करने का
प्रावधान नहीं है।

Created On :   15 July 2017 11:46 PM IST

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