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पत्नी को मुकदमा खर्चे की राशि नहीं दे रहा था बैंक अफसर, जबलपुर हाईकोर्ट ने सुनाया यह फैसला

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। अपनी पत्नी को मुकदमा खर्चे की राशि देने से बच रहे इलाहाबाद बैंक के एक अधिकारी पर जबलपुर हाईकोर्ट ने दस हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। जस्टिस एसके गंगेले और जस्टिस अंजुली पालो की बेंच ने कहा है कि मुकदमे के खर्चे को अनुचित बताकर अपनी पत्नी को तंग करने अधिकारी ने यह अपील दायर की, जो अनुचित होने के कारण खारिज की जाती है। इस मत के साथ कोर्ट ने अधिकारी को कहा कि वो एक माह के भीतर उक्त रकम अपनी पत्नी को दें। यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर बैंक के जिम्मेदार अधिकारी कॉस्ट की रकम अफसर के वेतन से काटकर उसकी पत्नी को दें।
बेंच ने यह फैसला विदिशा जिले के गंजबासौदा में रहने वाले विक्रांत शर्मा की अपील खारिज करके दिया। इलाहाबाद बैंक में अधिकारी के पद पर पदस्थ विक्रांत का विवाह 24 मई 2013 को जबलपुर में रहने वाली गुंजन शर्मा से हुआ था। विक्रांत का कहना था कि 3 जुलाई 2013 को भोपाल में हुए एक्सीडेंट के बाद वो करीब 7 माह तक अस्पताल में भर्ती रहा और इस दौरान गुंजन उसे देखने तक नहीं आई।
इसके बाद गुंजन ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत शिकायत देने के बाद हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत अंतरिम भरण-पोषण के रूप में और अधिक राशि और मुकदमा खर्च की राशि पाने एक अर्जी कोर्ट में दी। इस मामले पर फैमिली कोर्ट जबलपुर ने 11 सितंबर 2017 को मुकदमा खर्चे के रूप में साढ़े 7 हजार रुपए देने के आदेश विक्रांत को दिए थे। इसी फैसले के खिलाफ यह अपील विक्रांत की ओर से दायर की गई थी। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान गुंजन के साथ उनके अधिवक्ता ब्रजेश रजक हाजिर हुए।
लोअर कोर्ट के आदेश का अवलोकन करने के बाद बेंच ने पाया, ‘विक्रांत इलाहाबाद बैंक में अधिकारी के पद पर पदस्थ है और उसका मासिक वेतन 45 हजार रुपए है। उसकी दलील है कि पत्नी को मुकदमे का खर्च देने का कानून में कोई प्रावधान ही नहीं है। इस मामले में अनावेदक कहीं पर भी काम नहीं कर रही है। ऐसे में उसे मुकदमा खर्च देने के संबंध में लोअर कोर्ट द्वारा दिया गया आदेश एकदम उचित है।’ इस मत के साथ बेंच ने आवेदक की अपील दस हजार की कॉस्ट के साथ खारिज कर दी।
Created On :   13 Feb 2018 10:51 PM IST