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बेटे को लेकर पति-पत्नी के विरोधी दावों पर हाईकोर्ट बोला- DNA जांच से ही पता चलेगा कि बेटा किसका है

डिजिटल डेस्क अनूपपुर जबलपुर। एक महिला द्वारा अपने बच्चे को अपने पति की ही संतान बताने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। जस्टिस वंदना कसरेकर की एकलपीठ ने कहा है बच्चा किसका है, इसका पता तो डीएनए टेस्ट से ही पता चलेगा। इस बारे में निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगाते हुए हाईकोर्ट ने महिला की याचिका खारिज कर दी।
यह मामला अनूपपुर में रहने वाली ऊषाबाई और उसके 7 माह के बच्चे की ओर से दायर किया गया था। महिला का दावा था कि 7 माह का बच्चा उसके पति संजू का ही है। ऊषाबाई का कहना था कि ससुराल में मिलने वाली क्रूरता से तंग आकर वह अपने पिता के घर पर आकर रहने लगी और उसने पति संजू से भरण पोषण की रकम पाने वर्ष 2008 में अनूपपुर की ग्राम न्यायालय में एक अर्जी दी थी। ग्राम न्यायालय ने ऊषा बाई को हर माह 1 हजार और बच्चे को 6 सौ रुपए देने के आदेश संजू को दिए थे। ग्राम न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ संजू ने अनूपपुर की जिला सत्र न्यायालय में एक मामला दायर किया था। संजू का दावा था कि न तो ऊषाबाई उसकी पत्नी है और न ही उसका बच्चा उसकी (संजू की) संतान है। संजू का आरोप था कि ऊषा बाई किसी और की पत्नी है और बच्चा उसी की संतान है। अपने दावे को साबित करने संजू ने निचली अदालत से बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। पूरे मामले पर गौर करने के बाद अनूपपुर के एडीजे ने 4 अक्टूबर 2016 को अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि ऊषा बाई और उसका बच्चा संजू से भरणपोषण पाने के हकदार नहीं हैं। इसके साथ ही अदालत ने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने के आदेश दिए थे। इसी फैसले को चुनौती देकर ऊषा बाई ने यह याचिका वर्ष 2016 में हाईकोर्ट में दायर की थी।
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से किए जा रहे दावों पर गौर करने के बाद ऊषा बाई की याचिका हस्तक्षेप योग्य न पाते हुए खारिज कर दी। साथ ही हकीकत का पता लगाने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने संबंधी निचली अदालत के आदेश को उचित ठहराया है।
Created On :   15 Feb 2018 1:23 PM IST