राजमार्गों की खस्ता हालत पर जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई शिवराज सरकार को फटकार

Jabalpur High Courts direction over condition of highways in MP
राजमार्गों की खस्ता हालत पर जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई शिवराज सरकार को फटकार
राजमार्गों की खस्ता हालत पर जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई शिवराज सरकार को फटकार

डिजिटल डेस्क जबलपुर। प्रदेश से गुजरने वाले राजमार्गों की खस्ता हालत को लेकर दायर मामलों का हाईकोर्ट ने निराकरण कर दिया है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने एनएचएआई के अलावा मप्र सरकार से अपेक्षा की है कि राज्य के राजमार्गों की स्थिति बेहतर होनी चाहिए और इसके लिए वो उचित कदम उठाएंगे। राजमार्गों की लगातार मॉनीटरिंग करने से इनकार करके युगलपीठ ने कहा यदि सड़कों को लेकर किसी को कोई व्यथा है तो वो उसे चुनौती देने स्वतंत्र होगा।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट द्वारा आपदा प्रबंधन के ठोस इंतजाम न होने पर विधि संकाय के छात्र के रूप में पुरुषेन्द्र कौरव ने वर्ष 2001 में एक जनहित याचिका दायर की थी।

                              हाईकोर्ट ने 16 सितंबर 2002 को उक्त मामले पर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे। उनका पालन न होने पर अधिवक्ता पुरुषेन्द्र कुमार कौरव ने हाईकोर्ट में एक मामला वर्ष 2006 में दायर किया था। उस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राय देकर कहा था कि जबलपुर शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति ठीक होनी चाहिए, ताकि आपदा की स्थिति में दूसरे शहरों से मदद समय पर पहुंच सके। एक मामला सिवनी में रहने वाले संजय तिवारी ने वर्ष 2013 में दायर करके सिवनी खवासा रोड की दुर्दशा को चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े सभी 15 मामलों पर एकसाथ सुनवाई हो रही थी।
                                                     मामलों पर आगे हुई सुनवाई के दौरान अदालत मित्र के रूप में अधिवक्ता नरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता शिवेन्द्र पाण्डेय, एनएचएआई की ओर से अधिवक्ता मोहन सौंसरकर और मप्र सड़क विकास निगम की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा हाजिर हुए। सुनवाई के दौरान पिछली बार कहा -  च्ये मामले पिछले करीब 11 वर्षों से लंबित हैं और समय-समय पर नेशनल हाईवे के निर्माण व मरम्मत को लेकर निर्देश  जारी हुए थे। अब चूंकि राजमार्गों के रखरखाव की जिम्मेदारी एनएचएआई और राज्य सरकार की है, इसलिए इस मामले की लगातार मॉनीटरिंग करने की जरूरत नहीं है।ज् इस मत के साथ युगलपीठ ने मामलों का निराकरण कर दिया।

 

Created On :   15 Feb 2018 1:26 PM IST

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