डीआईजी जेल को भारी पड़ा अपने ही सहकर्मियों की मदद करना

Jail inspector general swati sathe of bhaykhala mumbai
डीआईजी जेल को भारी पड़ा अपने ही सहकर्मियों की मदद करना
डीआईजी जेल को भारी पड़ा अपने ही सहकर्मियों की मदद करना

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भायखला जेल में कैदी मंजुला शेटे की हत्या के आरोपी जेलकर्मियों से सहानुभूति जताते हुए उन्हें कानूनी लड़ाई के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाना जेल उप महानिरीक्षक स्वाती साठे को भारी पड़ गया। साठे से कैदी हत्या मामले की जांच का जिम्मा वापस ले लिया गया है। अब मामले की जांच पुलिस महानिरीक्षक राज्यवर्धन सिन्हा करेंगे।

साठे ने हत्या की आरोपी जेलकर्मियों के समर्थन के लिए जेल अधिकारियों के व्हाट्ससएप ग्रुप से मदद मांगी थी, साथ ही उन्होंने मीडिया को भी भलाबुरा कहा था। साठे ने ग्रुप में लिखा था कि ‘हमारी सहकर्मी बहनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। क्या अब मीडिया की आत्मा शांत होगी। मैं दुखी और अशांत महसूस कर रही हूं।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘दामने सर, देसाई सर हम सारे जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी बहनों का पूरा साथ देना चाहिए।

इसके बाद उन्होंने लिखा कि इतने लोगों ने संदेश पढ़ा। कम से कम हां तो लिखिए। साठे के संदेश का स्क्रीन शॉट वायरल हो गया था। इसके बाद ठाणे जेल के निलंबित अधीक्षक हीरालाल जाधव ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खत लिखकर साठे के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद साठे ने अतिरिक्त पुलिस महासंचालक व कारागृह महानिरीक्षक को खत लिखकर मामले की जांच से हटने की इच्छा जताई थी।

मुंडे ने की निलंबित करने की मांग

विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने स्वाती साठे को निलंबित करने की मांग की है। मुंडे ने कहा, व्हाट्सएप संदेश से स्पष्ट है कि उप महानिरीक्षक साठे ने खुद महिला कैदी की हत्या की आरोपी जेलकर्मियों को बचाने की कोशिश की है। ऐसा लग रहा था कि उनकी मंशा आरोपियों को बचाने और जांच में बाधा उत्पन्न करने की थी।

आरोपियों को 14 जुलाई तक पुलिस हिरासत

मंजुला शेटे हत्या की 6 आरोपी जेलकर्मियों को शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। पेशी के दौरान सरकारी वकील सुधीर सूर्यवंशी ने दावा किया कि जांच अभी बाकी है और कानून की जानकारी होने के चलते आरोपी सहयोग नहीं कर रहीं हैं। मंजुला को जिस लाठी से पीटा गया उसे भी बरामद नहीं किया जा सका है।

सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि मामले में अभी 291 महिला कैदियों का बयान लिया जाना बाकी है। वहीं बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी कि लाठी की तलाश या दूसरी कैदियों के बयान के मामले में आरोपियों की कोई भूमिका नहीं है, इसलिए उन्हें पुलिस हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस आरएस अराध्ये ने आरोपियों की पुलिस हिरासत सात दिनों के लिए बढ़ा दी। बचाव पक्ष के वकील ने आरोपियों के छोटे बच्चों को उनसे मिलाने की इजाजत मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।

Created On :   8 July 2017 6:03 PM IST

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