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सरकारी आवास की दुर्व्यवस्था से परेशान हैं जज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। निचली अदालतों के न्यायिक अधिकारियों के आवास को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता को देखते हुए बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिका महाराष्ट्र स्टेट जज एसोसिएशन ने दायर की है। याचिका में मांग की गई है कि न्यायिक अधिकारियों की शिकायत के लिए सिंगल विंडो पोर्टल बनाया जाए। जहां वे बिजली व अपने घर की सुरक्षा इंतजामो को लेकर अपनी बात रख सके। याचिका में दावा किया गया है कि न्यायिक अधिकारी जिस तरह की सुविधाओं के साथ घर पाने का हक रखते है वह उन्हें घरों की उपलब्धता के बावजूद नहीं प्रदान किए जा रहे हैं।
याचिका में इस विषय से संबंधित सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जुलाई 2021 में जारी की गई अधिसूचना को आंशिक रुप से रद्द करने की मांग की गई है। जिसके तहत न्यायिक अधिकारियों के घर के आकार को घटाया गया है। याचिका में कहा गया है कि घर आवंटन में कुप्रबंधन व सरकारी अधिकारियों की ओर से गंभीरता न दिखाने के चलते इस मामले में दिक्कत आ रही है। याचिकार्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता तेजस डांडे ने पुणे के एक न्यायाधीश की शिकायत की जानकारी दी। जिसमें न्यायाधीश ने कहा है कि उनका घर रेलवे लाइन के पास है। बाथरुम में काफी लिकेज है। न्यायाधीश ने सार्वजनिक निर्माण कार्य विभाग को कई पत्र लिखे है। जिनका कोई नतीजा नहीं निकला है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ याचिका गौर करने के बाद इस मामले को हाईकोर्ट की प्रशासकीय कमेटी के पास रखने को कहा है। याचिका में कहा गया है कि न्यायिक अधिकारियों को घर पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। याचिका में मांग की गई है कि सरकार को न्यायाधीशों के निजी घर पर रहने पर किराए की प्रतिपूर्ति को लेकर नीति बनाने के लिए कहा जाए।
Created On :   6 Aug 2021 7:51 PM IST