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बयान दर्ज कराने पुलिस स्टेशन पहुंची कंगना-रंगोली

डिजिटल डेस्क, मुंबई। अभिनेत्री कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली चंदेल शुक्रवार को बांद्रा पुलिस स्टेशन में बयान दर्ज कराने पहुंचे। पुलिस ने दोनों से करीब दो घंटे पूछताछ की। दोनों बहनों के खिलाफ स्थानीय अदालत के आदेश पर ट्वीट के जरिए समुदायों में दुश्मनी फैलाने, धार्मिक भावनाएं आहत करने और राजद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। बांद्रा पुलिस इससे पहले दोनों को तीन बार समन भेज चुकी थी लेकिन भाई की शादी के चलते वे हिमाचल प्रदेश के मनाली स्थित अपने घर में थीं इसलिए पेशी के लिए और वक्त मांगा था।
कंगना ने मामले में हाईकोर्ट में एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई थी। जिस पर सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों बहनों को 8 जनवरी को 12 से 2 बजे के बीच बांद्रा पुलिस स्टेशन में पेश होने के निर्देश दिए थे साथ ही अदालत ने दोनों बहनों को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत भी दे दी थी। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई थी कि सामान्य मामलों में भी राजद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज की जा रही है। मामले में दोनों बहनों के खिलाफ मुनव्वर अली सैयद नाम के व्यक्ति ने बांद्रा की महानगरीय दंडाधिकारी न्यायालय में शिकायत की थी। जिसके आधार पर अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के आदेश दिए थे।
देशहित में बात करने पर अत्याचार-कंगना
अभिनेत्री कंगना रनौत का आरोप है कि वे देशहित में बात करती है इसलिए जिस तरह उनपर अत्याचार किए जा रहे हैं वह पूरा देश देख रहा है। एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा कि गैरकानूनी तरीके से मेरा घर तोड़ दिया गया। किसानों के हित में बात करने के लिए मेरे खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं यहां तक कि हंसने पर भी मेरे खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया है। मेरी बहन रंगोली ने कोरोना काल की शुरूआत में डॉक्टरों पर हुए अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन पर केस हुआ और उस मामले में मेरा नाम डाल दिया गया। उस समय मैं ट्विटर पर नहीं थी।
कंगना के मुताबिक अदालत ने भी उनके खिलाफ हुई कार्रवाई को गलत बताया। कंगना ने कहा कि अपने खिलाफ हुए अत्याचारों के बारे में उन्हें किसी से बात करने की इजाजत नहीं है। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से सवाल किया कि क्या यह मध्य युग है जहां औरतों को जिंदा जलाया जाता है। वो किसी से कुछ बोल नहीं सकतीं बता नहीं सकती। इस तरह के अत्याचार दुनिया के सामने हो रहे हैं। कंगना ने कहा कि अगर राष्ट्रवादी आवाजों को चुप करा दिया गया तो जिस तरह हजार साल की गुलामी के समय खून के आंसू रोने पड़े हैं वे फिर से सहने पड़ेंगे।
Created On :   8 Jan 2021 5:58 PM IST