आम के राजा अल्फांसो को मिला GI टैग, महाराष्ट्र बना प्रमुख उत्पादक

King of mangoes Alphonso received GI tag
आम के राजा अल्फांसो को मिला GI टैग, महाराष्ट्र बना प्रमुख उत्पादक
आम के राजा अल्फांसो को मिला GI टैग, महाराष्ट्र बना प्रमुख उत्पादक

डिजिटल डेस्क, मुंबई महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, पालघर, ठाणे और रायगढ जिलों में उगाए जाने वाले हापुस आम (अल्फांसो) को भौगोलिक संकेत (GI) नामक बौद्धिक संपदा अधिकार का दर्जा मिल गया है। इस प्रकार महाराष्ट्र आम की इस किस्म का प्रमुख उत्पादक राज्य बन गया है। आमों का राजा कहे जाने वाले अल्फांसो को प्रदेश में हापुस के रुप में जाना जाता है। इसकी न केवल घरेलू बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इसकी सुखद सुगंध और चमकीले रंग के लिए बड़ी मांग है। केन्द्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने इसके भौगोलिक संकेतों (GI) के लिए लोगो और टैगलाइन लॉन्च की है। उन्होंने कहा कि GI बौद्धिक संपदा में भौगोलिक संकेत आम उत्पादों और विनिर्माताओं को अच्छे बाजार मूल्य प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होगी। बता दें कि भौगोलिक संकेत का टैग किसी उत्पाद की उत्पत्ति अथवा किसी विशेष क्षेत्र से उसकी उत्पत्ति को दर्शाता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को मिले संवैधानिक दर्जा-एड कुंभारे
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सुलेखा कुंभारे ने आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की मांग उठाई है। कुंभारे का कहना है कि आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं होने के कारण वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों कि सुरक्षा को लेकर ज्यादा प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहे है। धम्मचक्र प्रवर्तन महोत्सव के उपलक्ष में कामठी ड्रैगन पैलेस में 17 और 18 अक्टूबर को आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट पीस कॉन्फ्रेंस की जानकारी देने के लिए बुलाई प्रेसवार्ता में एड कुंभारे ने यह बात कहीं।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक आयोग की पहचान मुस्लिमों के लिए ही काम करने वाला आयोग के तौर पर बनी हुई है, लेकिन आयोग के द्वारा बुद्धिस्ट, सिख, ईसाई, जैन आदि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के अधिकारों के लिए काम किया जाता है। इसलिए परिषद में आयोग द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न योजनाओं का लाभ इन समुदाय के लोगों को मिले इसके लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। इसके अलावा बौद्ध धर्म और पाली भाषा को अलग नहीं किया जा सकता। इसलिए पाली भाषा को संवैधानिक दर्जा मिले तथा नॉर्थ ईस्ट के लोगों को बुद्धिस्ट स्थलों पर जाने के लिए कनेक्टिविटी बढाए जाने बाबत ही प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 2016 में विदर्भ के बुद्धिस्ट स्थलों को जोडने और उसके विकास के लिए 100 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी, लेकिन इसमें से अब तक एक पैसा भी केन्द्र से जारी नहीं हुआ है, जबकि हिन्दूओं के कुंभमेला के लिए बाकायदा 2500 करोड़ रुपये का बजट तय किया जाता है। कुंभारे ने कहा कि बौद्ध देशों से भारत सरकार को बुद्धिस्ट स्थलों के विकास के नाम पर करोडों रुपये की राशि हर साल मिलती है। बावजूद बुद्धिस्ट स्थलों के विकास के प्रति सरकार का रवैया ढूलमूल दिख रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह देश के बुद्धिस्ट स्थलों के विकास के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाएं। उन्होंने बताया कि परिषद में करीब 42 बुद्धिस्ट देशों के प्रतिनिधी शिरकत करेंगे। परिषद का उद्घघाटन केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी करेंगे और प्रमुख अतिथि के रुप में केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पर्यटन मंत्री के जे अल्फांसो मौजूद रहेंगे।

Created On :   5 Oct 2018 5:19 PM GMT

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