हर त्योहार सेलिब्रेट करते हैं किन्नर, सर्वधर्म समभाव के साथ जीते हैं

Kinnars celebrate every festival, live with all religion
हर त्योहार सेलिब्रेट करते हैं किन्नर, सर्वधर्म समभाव के साथ जीते हैं
हर त्योहार सेलिब्रेट करते हैं किन्नर, सर्वधर्म समभाव के साथ जीते हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ताली बजाकर लोगों को बधाई और दुआएं देते हुए तृतीयपंथियों से हर कोई परिचित है, लेकिन इनका जीवन और जीने का अंदाज बिल्कुल जुदा है। इस समुदाय के लोग आज भी समाज और सरकार की उपेक्षा के शिकार हैं। समाज में बहुत से लोग हैं, जो इनके उत्थान के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं। इन्हीं में से एक हैं शहर की डॉ. जयश्री गिरडकर, जो इनके पुनर्वसन के लिए काम कर रही हैं। डॉ. जयश्री शहर की पहली ऐसी पीएचडी धारक हैं, जिन्होने तृतीयपंथियों पर शोध कार्य किया है। उन्होंने मप्र व विदर्भ के कुछ शहरों के तृतीयपंथियों के दैनिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, रूढ़ीवादी परंपरा व पुनर्वसनात्मक समस्याओं पर अध्ययन किया है।

1993 से है से संबंध
डॉ. जयश्री ने बताया कि 1993 से उनका तृतीयपंथियों से संबंध है। इस बीच उन्होंने उन पर पीएचडी करने का विचार बनाया। 2001 में रजिस्ट्रेशन कराया और 2007 में पीएचडी कंपलीट कीं। इसमें डॉ. नवीनचंद्रन भट ने मार्गदर्शन किया। तृतीयपंथियों के साथ रहे अनुभवों को साझा करते हुए डॉ. जयश्री ने बताया कि उन्होंने उनकी तकलीफों को नजदीक से जाना है। उनको दु:खी होते हुए भी देखा है। वो भी आम इंसान की तरह हाड़, मांस से बने हुए हैं। उनकी सबसे अच्छी बात यह लगी कि वे लोग सर्वधर्म समभाव का भाव रखते हैं। तृतीयपंथी स्त्री घराने की होती हैं। वे हर त्योहार  चाहे दीवाली हो या होली, ईद हो या क्रिसमस, लोहड़ी हो या सक्रांति सभी सेलिब्रेट करते हैं।

रोजगार दिलाने का काम किया
डॉ. जयश्री ने बताया कि मप्र के 50  से अधिक तृतीयपंथियों के पुनर्वसन के लिए उन्होंने काम किया है, जिसमें उन्हें रोजगार देने से लेकर उनको सारे डॉक्यूमेंट्स भी बनवाए हैं। किसी ने पार्लर शुरू किया, तो किसी ने नर्सरी का काम किया। कोई ज्वेलरी शॉप में काम करी है, तो कोई मैनेजर की नौकरी कर रही है। समाज के लोगों से यही कहना है कि तृतीयपंथियों को भी स्वीकार करें।

काउंसलिंग की जा रही है
डॉ. जयश्री ने कहा कि अब शहर और विदर्भ के तृतीयपंथियों के लिए काम कर रही हैं। आरएसएस जनकल्याण समिति के अंतर्गत उनके दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। साथ ही उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है, ताकि वे काम करने के लिए तैयार हो जाएं। उन लोगों के साथ कुछ संस्थाएं जुड़ी हैं, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत हैं। तृतीयपंथियों में अलग-अलग तरह की कलाएं होती हैं, जिनको मंच नहीं मिल पाता है। प्रयास करने से न केवल उन्हें मंच मिलेगा, बल्कि उन्हें नौकरी या रोजगार भी मिल सकता है और आय के साधन भी मिलेंगे। डॉ. जयश्री ने बताया कि मध्य प्रदेश की प्रमुख तृतीयपंथी गुरु बद्रूबाई मंगलमुखी ने उन्हें मानस कन्या माना है।
 

Created On :   4 Dec 2020 4:28 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story