कोंढाली नागपुर-अमरावती के बीच नहीं है कॉरिडोर, जान गंवा रहे बाघ

Kondhali is not a corridor between Nagpur-Amravati, tigers losing their lives
कोंढाली नागपुर-अमरावती के बीच नहीं है कॉरिडोर, जान गंवा रहे बाघ
कोंढाली नागपुर-अमरावती के बीच नहीं है कॉरिडोर, जान गंवा रहे बाघ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोंढाली नागपुर-अमरावती के बीच कोंढाली वन परिक्षेत्र (एशियन हाइवे क्रमांक-46 व राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-6) में कॉरिडोर का नहीं होना बाघों सहित अन्य जंगली जानवरों के लिए घातक साबित हो रहा है। इस क्षेत्र के करीब 35-40 किमी दूरी (बोर अभयारण्य) में हादसे बढ़ रहे हैं। रास्ता पार करते ‘बाजीराव’ सहित 4 बाघों की मौत तक हो चुकी है। ये बाघ किसी न किसी वाहन की चपेट में आकर जान गंवाए हैं। इतना ही नहीं, इस ओर से आबादी क्षेत्र में भी बाघ प्रवेश कर रहे हैं। इससे जानमाल का भी नुकसान हो रहा है। कोंढाली से सटे बाजारगांव परिसर स्थित एक कंपनी के समीप नाले के बीचों-बीच सीमेंट के दो बड़े पाइप बिछाकर वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था भी की गई थी, पर अब कोई फायदा नहीं। साफ-सफाई के अभाव में पाइप गंदगी व कचरे से पट गए। ऐसे में इस पाइप से होकर आना-जाना मुश्किल हो गया है।

उपराजधानी के आसपास 10 टाइगर रिजर्व घोषित
उपराजधानी नागपुर के आसपास करीब 200 किमी के दायरे में 10 टाइगर  रिजर्व  घोषित हैं। टाइगर रिजर्व के तहत अनेक  प्रोजेक्ट व वन्यजीव अभयारण्य को देखते हुए नागपुर को बाघ की राजधानी   (टाइगर ऑफ कैपिटल) कहा जाता है।

मुख्य कार्यालय से संपर्क कर समस्या सुलझाने का प्रयास
वन्य प्राणियों के विचरण के लिए स्वतंत्र मार्ग (कॉरिडोर) होना  आवश्यक  है।  इस विषय पर मुख्य कार्यालय से संपर्क कर बाघों  की सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जाएगा।  -प्रभुनाथ शुक्ला, डीएफओ, वन विभाग, नागपुर

कॉरिडोर निर्माण की मांग
नागपुर को "कैपिटल ऑफ टाइगर" के नाम से भी पहचाना जाता है। नागपुर जिले की भौगोलिक सीमा महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश से सटे नेशनल पार्कों से भी जुड़ी है। कोंढाली-कलमेश्वर वन परिक्षेत्र से सटी आबादी के लोगों ने गृहमंत्री अनिल देशमुख से कॉरिडोर निर्माण की मांग की है। उनका कहना है कि वन्य प्राणियों के विचरण में परेशानी आ रही है। कोंढाली-कलमेश्वर वन परिक्षेत्र के ढगा-कवड़ीमेट, चमेली, मकरसुर, शिरपुर व अन्य गांवों में बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की आवाजाही बढ़ गई है। इसके चलते ग्रामीणों में दहशत है। ये जानवर गांव वालों के साथ ही उनके मवेशियों व फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। कुछ महीने पहले कोंढाली के समीप खेत में बने कुएं में नील गाय गिर गई थी, जिसे जेसीबी की सहायता से रेस्क्यू किया गया था। 

वन विभाग के केंद्रीय विभाग तथा राजमार्ग प्राधिकरण का संयुक्त जांच दल बने
कोंढाली के  सरपंच केशव धुर्वे, उपसरपंच स्वप्निल सिंह व्यास, वन्यजीव प्रेमी ब्रजेश तिवारी, राजेंद्र खामकर, बाजारगांव के सरपंच  तुषार चौधरी, उपसरपंच मंगेश भोले, राकेश  असाटी आदि ने जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ देहरादून (डब्ल्यूआईआई) के माध्यम से बाघों के पग चिह्न, बाघों द्वारा रास्तों में किए गए शिकार की  जानकारी के आधार पर टाइगर  कॉरिडोर निर्माण कार्य की व्यवस्था की जाए। साथ ही, कॉरिडोर मार्ग में रेल व राजमार्ग आने पर  भूमिगत मार्ग (अंडर ग्राउंड) बनाए जाएं। जंगलों को विकसित करने और कॉरिडोर निर्माण के लिए नेशनल टाइगर रिजर्व कंजरर्वेशन अथाॅरिटी (एनटीसीए) के माध्यम से  राष्ट्रीय राजमार्ग तथा संबंधित राज्यों  के वन मंत्रालयों के साथ अनुबंध किया जाए।
 

Created On :   7 Dec 2020 5:15 AM GMT

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