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कोरिया : वनाधिकार पत्र से मिला भूमि का मालिकाना हक, किसान गोरेलाल के परिवार में आई खुशहाली
डिजिटल डेस्क, कोरिया। कोरिया जिले के बैगा जनजाति के किसान श्री बाबूलाल और श्री भूपत खुश हैं। उन्हें राज्य सरकार की योजना के तहत वनअधिकार पत्र मिल गया है। जिसके साथ ही उन्हें भूमि का मालिकाना हक भी मिला है। वन निवासियों को वन अधिकार पत्र प्रदान कर शासकीय योजनाओं से जोड़ते हुये उनके जीवन में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में राज्य शासन द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण कदम की प्रशंसा करते हुए किसान बाबूलाल कहते हैं कि राज्य सरकार के अत्यंत संवेदनशील निर्णय के फलस्वरूप जमीन का वनाधिकार पट्टा मिलने पर उनका और उनके परिवार का वर्षों पुराना सपना साकार हो गया। भरतपुर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत बहेराटोला के रहने वाले बैगा जनजाति के किसान श्री बाबूलाल, श्री भूपत की तरह ही ग्राम अक्तवार के रहने वाले किसान श्री गोरेलाल को भी वनाधिकार पत्र मिल चुका है, वे बताते हैं कि उन्होंने अपने दो एकड़ खेत में गेहूं की खेती की है जिसमें लगभग 20 क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ. इसमें से 5 क्विंटल गेहूं को उन्होंने अपने उपयोग हेतु रखा व बाकी के 15 क्विंटल गेहूं को बाजार में बेच दिया. इससे उन्हें 30,000 रुपये का अतिरिक्त लाभ भी हुआ है. इसके अलावा वे अपने खेतों में सब्जी की खेती भी करते हैं. सिंचाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा खेत में नलकूप खनन एवं सोलर पंप स्थापित किया गया है। इस तरह सिंचाई की उत्तम व्यवस्था हो जाने के बाद ये किसान अपने खेत से भरपूर आर्थिक लाभ ले पा रहे हैं. इन किसानों ने राज्य शासन के प्रति अपना आभार जताया है. बता दें कि शासन के इस पहल से जिले के पांचों विकासखंडों में लगभग 410 हेक्टेयर सिंचाई रकबे में बढ़ोतरी हुई है और इसके साथ ही क्षेत्र में उपलब्ध पानी का भी समुचित उपयोग हो पा रहा है. वनाधिकार पट्टाधारियों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए जिले के अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 1000 नग स्प्रिंकलर एवं 950 नग पौध संरक्षण यंत्र स्प्रेयर का जिला खनिज न्यास के तहत वितरण किया गया है। ग्राम अमरा के किसान श्री राणा प्रताप और श्री शिवरतन, ग्राम ओदारी के श्री मोतीलाल और श्री हीरा सिंह तथा ग्राम केवराबहरा के श्री जयराम प्रशासन को इन हितग्रगाही मूलक सामग्रियों के प्रदाय हेतु प्रशासन को धन्यवाद देते हैं। इसके साथ ही जिले के 337 हितग्राहियों के खेतों में नलकूप खनन एवं डबरी निर्माण भी कराया गया है। उल्लेखनीय है कि आदिवासियों एवं अन्य परम्परागत वनवासियों को वन भूमि पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम 2006 प्रदेश में लागू किया गया है। 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति के वनवासियों को वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है।
Created On :   27 July 2020 4:30 PM IST