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सूखे ने छीना मजदूरों का रोजगार, कृषि व्यवसाय हुआ चौपट

डिजिटल डेस्क, वरोरा (चंद्रपुर)। प्राकृतिक आपदा के चलते कृषि व्यवसाय का गणित ही बिगड़ गया है, जिससे किसान आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान हैं। वहीं खेतिहर मजदूरों के हाथों का काम भी सूखे ने छीन लिया है। वरोरा परिसर के देहातों में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, जिससे उन पर भुखमरी की नौबत आ गई है। वरोरा के खांबाडा परिसर में हर वर्ष कपास तुडाई और सोयाबीन कटाई के लिए बाहरी जिलों व गांवों से मजदूर बुलाए जाते थे। इस वर्ष इसी रोजगार की तलाश में यहां आए मजदूरों को बैरंग लौटना पड़ा।
मजदूर तो हैं लेकिन काम नहीं
बता दें कि हर वर्ष कपास तुड़ाई के काम के लिए मजदूरों की कमी रहती थी, जिससे बाहरी जिलों से मजदूरों को लाना पड़ता था। लेकिन इस वर्ष गांव के खेतिहर मजदूरों को काम मिलना तक मुश्किल हो गया है। स्थानीय मजदूर ही काम की तलाश में भटक रहे हैं। कपास उत्पादन बढ़ा तो मजदूरी की दरें भी बढ़ती हैं। लेकिन इस वर्ष सूखासदृश्य स्थति से प्रति एकड़ 2 से 3 क्विंटल से अधिक उतारा नहीं है। अपर्याप्त बारिश से कपास के बोंड कम हुए और वजन भी घटा है।
गत वर्ष थी 200 रुपए मजदूरी
गत वर्ष प्रति 20 किलो कपास तुड़ाई के लिए 150 से 200 रुपए दर मजदूरों को देनी पड़ी थी। इस वर्ष यही घट कर 130 हो गई है। यवतमाल, नांदेड, वर्धा जिलों से यहां आनेवाले मजदूरों को इस वर्ष काम मिलना मुश्किल हो गया है।
गुजारा हुआ मुश्किल
हर वर्ष कपास तुड़ाई व सोयाबीन कटाई के भरोसे यहां के सैकड़ों परिवारों का साल भर के गुजारे की समस्या हल हो जाती है। लेकिन इस बार गांव में और समीपस्थ दूसरें गांवों में भी रोजगार ही न होने से खेतिहर मजदूरों के परिवारों के गुजारे की समस्या गंभीर बन गई है। ऐसे में नियोजन कर रोगायो के कार्य शुरू करने की मांग की गई।

Created On :   28 Nov 2018 4:06 PM IST