मेडिकल में ऑक्सीजन की कमी, अस्पताल के चक्कर लगाते शख्स की मौत

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मेडिकल में ऑक्सीजन की कमी, अस्पताल के चक्कर लगाते शख्स की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के अस्पतालों में सही उपचार और बेड नहीं मिलने से मरीजों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी तरह की एक घटना मेडिकल में हुई। मरीज को सांस लेने में तकलीफ हुई, तो नरेंद्र नगर के कंटेनर हाउस लेकर गए। वहां डॉक्टर ने बिना जांच किए ही परचे पर पॉजिटिव लिख कर मेडिकल में रेफर कर दिया। मेडिकल में लाने पर मरीज को एनआरएम मास्क लगा कर छोड़ दिया गया। मेडिकल स्टाफ से ध्यान देेने की बात कहने के बाद भी किसी ने एक नहीं सुनी। अंतत: दूसरे अस्पताल में ले जाने की तैयारी की, इस बीच मरीज की मौत हो गई। मरीज ने अपनी शादी के सालगिरह के दिन ही दम तोड़ दिया।

बिना जांच किए लिख दिया पॉजिटिव
मरीज के साले राजेश सोपान ने बताया कि उनके मरीज विजय डोले (52) को लिवर और पाइल्स की समस्या थी। कुछ समय से मरीज की स्थिति सामान्य थी, लेकिन मंगलवार रात से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। बुधवार को मरीज को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्हें नरेंद्र नगर के कंटेनर डिपो लेकर गए। जहां पर मरीजों को भर्ती करने के लिए रेलवे कोच में बेड तैयार किए गए हैं। वहां पर मौजूद डॉक्टर ने मरीज की जांच की और परचा बना कर उसमें मरीज को पॉजिटिव लिख दिया और मेडिकल अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

नहीं मिला ऑक्सीजन
राजेश ने बताया कि मरीज को 3 बजे मेडिकल लेकर गए। वहां पर मरीज को कैजुअल्टी में रखा गया। पहले मरीज को स्ट्रेचर पर लेटाकर एनआरएम मास्क लगाया गया, जिसे लगातार पंप करना होता है। यह मास्क लगाकर डॉक्टर चले गए। मरीज की पत्नी और बेटा लगातार पंप कर रहे थे। उन्होंने मरीज को बेड पर शिफ्ट करने के साथ ऑक्सीजन लगाने के लिए कहा, जिस पर मौजूद डॉक्टरों ने मना कर दिया। कुछ देर बाद मरीज को बेड पर शिफ्ट किया गया। मरीज की पत्नी और बेटा 3 बजे से 6 बजे तक 3 घंटे लगातार एनआरएम मास्क को पंप करते रहे, जिससे वह थक गए। 

बिना नाम, नंबर के हैं सीएमओ
मरीज के परिजनों ने कई डॉक्टरों सेे कहा कि मरीज को ऑक्सीजन लगा दें, लेकिन कोई नहीं सुन रहा था। वहां पर सीएमओ के बारे में पूछकर उन्हें स्थिति बताने की कोशिश, तो वहां मौजूद स्टाफ ने सीएमओ का नाम बताने से मना कर दिया, साथ ही कहा कि सीएमओ नहीं हैं, ना ही उनका फोन नंबर है। परेशान होकर दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए पूरी बात कर ली। लेकिन डिस्चार्ज करते-करते मरीज की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि मेडिकल में न तो कोई इंजेक्शन लगाया और न ही सलाइन लगाई गई।

वेंटिलेटर की जरूरत थी, खाली नहीं था बेड
दरअसल मरीज जब आया, तो उसकी स्थिति बहुत खराब थी। उसे कोविड केयर सेंटर से रेफर किया गया था। उसे वेंटिलेटर की जरूरत थी, लेकिन वेंटिलेटर बेड खाली नहीं थे। इसलिए गले में नली डाल कर मरीज को पंप से ऑक्सीजन देने की कोशिश कर रहे थे। इस कारण ऑक्सीजन मास्क नहीं लगाया। मरीज को ऑक्सीजन इंक्यूबेट करने की कोशिश की गई, लेकिन स्थिति खराब होने से उसकी मौत हो गई। - डॉ.कांचन वानखेड़े, उपाधीक्षक, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल

Created On :   6 May 2021 1:28 PM IST

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