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अब लिखित अनुबंध पर बटाई पर दी जा सकेगी खेती की जमीन, विधेयक मंजूर

डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश में अब खेती की जमीन लिखित अनुबंध कर बटाई पर दी जा सकेगी। इस अनुबंध की एक प्रति संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार कार्यालय में जमा कराना होगी। ऐसा करने पर प्राकृतिक आपदा पर बटाईदार को भी सरकारी सहायता मिल सकेगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने दो साल पहले 29 जुलाई 2016 को मप्र विधानसभा में मप्र भूमिस्वामी एवं बटाईदार के हितों का संरक्षण विधेयक पारित कराया था और इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजा था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी है जो अब पूरे प्रदेश में कानून के रुप में प्रभावशील हो गया है।
प्रदेश में नवप्रभावी इस कानून के उद्देश्यों में कहा गया है कि भूमिस्वामियों द्वारा कृषि भूमि बटाई पर दी जाना जमीनी सत्यता है। बटाईदार को भूमिस्वामी अधिकार प्राप्त न हो जाए, इस भय से भूमिस्वामी प्रतिवर्ष बटाईदार बदलता है या भूमि को पड़त ही छोड़ देता है, जिससे कृष उपज की हानि होती है। भूमिस्वामी लिखित में बटाई पर भूमि देने में हिचकते हैं और इसके स्थान पर मौखिक अनुबंध पर भूमि देते हैं। परिणामस्वरुप प्राकृतिक आपदा के मामले में वास्तविक बटाईदार किसी भी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं कर पाते हैं। भूमि संसाधन का अधिकतम, प्रभावी एवं लाभप्रद उपयोग करने, भूमिस्वामी एवं बटाईदार दोनों के हित सुरक्षित रखने के लिए भूमि को बटाई पर दिए जाने की वैधानिक व्यवस्था को आवश्यक समझा गया है इसयीलिए यह कानूनी उपबंध किया गया है।
करना होगा तीन प्रतियों में अनुबंध
उक्त नए कानून में प्रावधान किया गया है कि भूमिस्वामी और बटाईदार के मध्य निर्धारित प्रारुप अनुसार सादे कागज पर तीन प्रतियों में अनुबंध निष्पादित करना होगा। इनमें से एक-एक प्रति भूमिस्वामी एवं बटाईदार रखेंगे जबकि तीसरी प्रति तहसीलदार के पास दी जाएगी। यह अनुबंध अधिकतम पांच साल के लिए किया जा सकेगा।
बटाईदार भूमि पर कब्जा नहीं कर सकेगा
कानून में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि अनुबंध में वर्णित अधिकारों के अतिरिक्त अनुबंधित भूमि पर बटाईदार का किसी भी प्रकार का हक नहीं रहेगा तथा वह भूमि पर स्वत्व, कब्ज या अन्य कोई अधिकार प्राप्त करने के लिए किसी प्राधिकारी या न्यायालय में वाद, आवेदन या याचिका प्रस्तुत नहीं कर सकेगा और न ही कोई लाभ प्राप्त कर सकेगा। बटाईदार को अनुबंधित भूमि पर कृषि कार्य, सुधार एवं कृषि के आनुषांगिक कार्य करने का अधिकार होगा। अनुबंध में यह दर्शाया जाएगा प्राकृतिक आपदा पर मिलने वाली सरकारी सहायता में से कितनी राशि भूमिस्वामी को और कितनी राशि बटाईदार को मिलेगी। इसके लिए प्रतिशत का उल्लेख होगा। यही नहीं अनुबंध की अवधि के पश्चात भूमि पर वापस भूमिस्वामी का कब्जा हो जाएगा तथा इस पर किसी न्यायालय का स्थगन आदेश भी निष्प्रभावी रहेगा।
अनुबंध का पालन न करने पर लगेगा जुर्माना
कानून में अनुबंध का पालन न करने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। तहसीलदार दस हजार रुपये प्रति हैक्टेयर के हिसाब से जुर्माना लगा सकेगा।
इनका कहना है
‘ इस कानून के तहत अनुबंध करना अनिवार्य नहीं है। यदि प्राकृतिक आपदा में राहत चाहिए या बटाई की भूमि पर स्वामित्व संबंधी विवाद का सामना न करना पड़े इसके लिए यह कानून बनाया गया है। अभी कानून के तहत नियम भी बनने बाकी हैं।’
(अशोक गुप्ता सचिव राज्य भूमि सुधार आयोग भोपाल)
Created On :   12 May 2018 2:31 PM IST