बांध की जमीन पर भू-माफिया की नजर, बंद नहीं होने दिए गेट

Land of the Lillaji dam on the ground, the maze of the dam does not stop
बांध की जमीन पर भू-माफिया की नजर, बंद नहीं होने दिए गेट
बांध की जमीन पर भू-माफिया की नजर, बंद नहीं होने दिए गेट

डिजिटल डेस्क,सतना। करीब 26सौ एकड़ में बना लिलजी बांध शुरूआती बारिश में ही लबालब हो गया है, लेकिन जमीन हड़पने की साजिश के तहत इस बांध के गेट बंद नहीं किए जा रहे। इस जलसंरचना का अस्तित्व समाप्त करने के इस खेल में सरकारी अमले के साथ सफेदपोशों की भी भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है।

जल संरक्षण के लिए बना बांध

दरअसल रीवा रियासत के दौर में जल संरक्षण और संग्रहण की मंशा से भूमि अधिग्रहित कर लिलजी बांध बनाया गया था, लेकिन भू-माफिया ने इस साल भी जमीन हड़पने के इरादों से बांध के गेट बंद नहीं होने दिए। रीवा और सतना दोनों ही जिलों के कलेक्टर बारिश के पहले ही लिलजी के गेट बंद करने पर सहमत थे। सतना कलेक्टर नरेश पाल ने तो संबंधित अधिकारियों को आदेश भी दे दिए थे। जलसंसाधन विभाग के अमले ने बहानेबाजी और निराधार तकनीकि पहलुओं में इसे उलझा कर अप्रत्यक्ष रूप से उन लोगों को राहत दे दी जिनका इरादा लिलजी की जमीन पर कब्जा करने का रहा है।

स्थानीय लोग बताते है कि 26 सौ एकड़ के विशाल क्षेत्रफल वाले लिलजी बांध में इस साल की शुरुआती बारिश में ही पानी लबालब भरा है। बांध के गेट दस फुट से अधिक खुले है फिर भी पानी कम नहीं हो रहा। जितना पानी खुले गेट से बह रहा है उससे कहीं ज्यादा पानी की इसमें आवक हो रही है। यह स्थिति अभी की है जबकि अभी तो बारिश का पूरा सीजन बाकी ही है।

जल संसाधन विभाग ने परीक्षण कर पहले तो यह स्पष्ट कर दिया था कि बंद करने के लिए नए गेट बनवाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। अधिकतम सवा लाख रुपए खर्च कर पुराने गेट की ही मरम्मत करा कर लिलजी का पानी रोका जा सकता है। लेकिन फिर बाद में सिल्ट जमने का नया बहाना आया और राजनैतिक गुणा गणित तेज कर नया खेल भी शुरू कर दिया गया।

बांध पर कब्जा

लिलजी बांध की जमीन पर तमाम लोगों ने बेजा तौर पर कब्जा कर रखा है। कई लोगों ने घर बना रखे है। बहुत लोग सरकारी बांध की जमीन पर खेती कर रहे हैं। अमरपाटन तहसीलदार ने भी अपनी रिपोर्ट में अतिक्रमणकारियों की संख्या का विवरण दिया है। जो लोग लिलजी की जमीन पर बेजा कब्जा किए हुए हैं उनमें से बहुत से लोग सफेदपोशों के नातेदार रिश्तेदार और समर्थक हैं। कई सियासतदारों ने तो जानबूझ कर ही इस पर कब्जा करा रखा है जिसमें उनका भी अंश शामिल है।

ऐसे लोग नहीं चाहते कि लिलजी के गेट बंद हो और विंध्य की यह धरोहर अपने पुराने गौरव को प्राप्त करे। जमीन निगलने की इसी योजना के तहत मुख्यमंत्री को धोखे में रख कर जमीन वापसी की घोषणा भी करा ली गई। जबकि सतना के अब तक के सभी कलेक्टरों ने जमीन वापसी संभव न होने की रिपोर्ट दी है।

 

Created On :   16 July 2017 3:34 PM IST

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