खेत की अनुपयोगी सामग्री से तैयार "मोक्षकाष्ठ' से हो रहे अंतिम संंस्कार

Last salvage of Mokshakastha prepared from the farms unusable material
खेत की अनुपयोगी सामग्री से तैयार "मोक्षकाष्ठ' से हो रहे अंतिम संंस्कार
खेत की अनुपयोगी सामग्री से तैयार "मोक्षकाष्ठ' से हो रहे अंतिम संंस्कार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर जिले के कामठी तहसील के कढोली ग्राम पंचायत की सरपंच प्रांजल वाघ द्वारा प्रयास के बाद गांव की श्मशानभूमि में अंतिम संस्कार के लकड़ियों का उपयोग न करते हुए खेतों में अनुपयोगी सामग्री से तैयार मोक्षकाष्ठ का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले इस प्रकार के उपक्रम केवल शहर में चलाए जा रहे थे, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में पहली बार कढोली ग्रापं में इस उपक्रम को अमल में लाया जा रहा है। सरपंच वाघ ने बताया कि, अंतिम संस्कार में लकड़ी के उपयोग से पर्यावरण के साथ ही पेड़ों की कटाई से गांव में पेड़ों की संख्या भी निरंतर घटती जा रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत ने मोक्षकाष्ठ के उपयोग करने का निर्णय लिया और अब इस पर अमल भी किया जा रहा है। इस उपक्रम की शुरुआत नागपुर के ईको फ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन के अध्यक्ष विजय लिमये ने की थी और उन्हीं की प्रेरणा से कढोली गांव में भी इसकी शुरुआत की गई है। साथ ही बताया कि, नागपुर के कई घाटों पर मोक्षकाष्ठ का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में कढोली गांव में ही मोक्षकाष्ठ का उपयोग किया जा रहा है।

कैसे निर्माण होता है मोक्षकाष्ठ
खेतों से उपज निकालने के बाद किसान खेतों से उपज से निकलने वाली सामग्री खेत में ही छोड़ देते हैं या फिर उसे जलाकर नष्ट कर देते है। इस कचरे को इकट्ठा कर उससे एक ईंट तैयार की जाती है, जिसमें लकड़ी, भूसा, पत्ते आदि का समावेश रहता है। 

एक अंतिम संस्कार में दो पेड़ों की क्षति 
एक शव के अंतिम संस्कार के लिए जितनी लकड़ी लगती है उससे तकरीबन 15 वर्ष के दो पेड़ों की क्षति होती है। ऐसे में किसान भी खेतों से उपज निकालने के बाद खेतों में जमा कचरे के ढेर को आग लगा देते हंै, इससे जमीन खराब होने के साथ ही जमीन पर रहने वाले जीव-जंतु जो फसलों को खाद देने का काम करते हैं, वह नष्ट हो जाते हंै। इस परिकल्पना को ‘मोक्षकाष्ठ’ नाम दिया गया। इससे अब लोगों का पैसा तो बच ही रहा है। साथ ही गांव का पर्यावरण संजोए रखने में काफी मदद मिल रही है।

प्रदूषण मुक्त उपक्रम का सभी करें अमल 
इस तरह के उपक्रम का तहसील के सभी ग्राम पंचायत के सरपंचों ने अपने-अपने गांव में शुरू करना चाहिए, जिससे गांव का वातावरण भी शुद्ध रहेगा और हरितक्रांति को भी बढ़ावा मिलेगा। प्रांजल वाघ, सरपंच, कढोली ग्रापं 

Created On :   5 Dec 2020 6:37 PM IST

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