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दो भाग में बंटे वकील, चुनाव समिति की मंशा पर उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (एचसीबीए) नागपुर के चुनावों को लेकर गहमागहमी बढ़ गई है। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण के नाम पर चुनाव स्थगित करने की बात हाे रही है, तो दूसरी ओर वकीलों का एक वर्ग पूर्व निर्धारित 12 मार्च को ही चुनाव संपन्न कराने की मांग पर अड़ा है। यही नहीं, आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी शुरू हो चुका है।
कोरोना का दिया हवाला
दरअसल कुछ उम्मीदवारों ने कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव स्थगित करने की मांग को लेकर एचसीबीए को निवेदन दिया था। गुरुवार को एक्जीक्यूटिव कमेटी ने फैसला लिया है कि कोरोना संक्रमण के चलते प्रत्यक्ष मतदान संभव नहीं है। ऐसे में 12 मार्च को ऑनलाइन मतदान संपन्न कराया जाएगा। चुनाव समिति को ऐसे ही निर्देश दिए गए हैं। चुनाव समिति ने इस विषय पर शुक्रवार को बैठक बुलाई है। चुनाव अधिकारी एड.भानुदास कुलकर्णी के अनुसार एक्जीक्यूटिव कमेटी के फैसले पर चुनाव समिति मंथन करेगी। दरअसल मतदाताओं को प्रिफरेंस के अनुसार मतदान करना है। यह ऑनलाइन संभव होगा या नहीं? यदि ऑनलाइन मतदान कराते हैं तो खर्च कितना होगा? ऐसे अन्य विषयों पर शुक्रवार को बैठक बुलाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि ऑनलाइन मतदान संभव नहीं हुआ तो चुनाव स्थगित कराने का विचार किया जाएगा।
वकीलों की अलग अलग राय
चुनाव स्थगित करने को लेकर वकील भी दो वर्ग में बंट गए हैं। एड.श्रीरंग भंडारकर के नेतृत्व में वकीलों के एक समूह ने गुरुवार को चुनाव समिति को निवेदन सौंप कर चुनाव स्थगित न करके 12 मार्च को ही आयोजित करने की मांग की है। शिष्टमंडल के अनुसार, जब एसओपी का पालन करते हुए ग्राम पंचायत व अन्य चुनाव हो रहे हैं, तो फिर एचसीबीए के चुनाव क्यों नहीं हो सकते। वहीं मौजूदा स्थिति को देखते हुए लगता है कि आगे कोरोना और बढ़ने वाला है। ऐसे में बाद में चुनाव कराने पर तो कोरोना का खतरा और अधिक बढ़ेगा। पहले ही चुनाव समिति पर कुछ उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। चुनाव स्थगित करके इन अफवाहों को और हवा न दी जाए।
यह तो वकीलों का अपमान
एड.भंडारकर के अनुसार चुनावों के कुछ दिन पूर्व नए नए फैसले लेना यह दर्शाता है कि चुनाव समिति गलत मंशा से काम कर रही है। यदि हाईकोर्ट में प्रत्यक्ष कामकाज हो रहा है तो फिर मतदान ऑनलाइन क्यों हो ? और यदि ऑनलाइन मतदान ही कराना था तो पिछले एक वर्ष से चुनाव क्यों टाले गए। उन्होंने कहा कि वकील इतने न समझ नहीं है कि मतदान के दौरान अपना ख्याल नहीं रख सके। ऐसे में यह तर्क देना की मतदान के दौरान वकील सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करके कोरोना फैलाएंगे, यह तो वकीलों का अपमान है।
Created On :   5 March 2021 2:24 PM IST