सादे कपड़े में वकील, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

Lawyer in plain clothes, High Court reprimanded
सादे कपड़े में वकील, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार
सादे कपड़े में वकील, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में ऑनलाइन सुनवाई के दौरान कोर्ट की मर्यादा और वेशभूषा का शिष्टाचार भूलने वाले एक वकील को जम कर फटकार लगी। हुआ यूं कि न्या.सुनील शुक्रे और न्या.अनिल किल्लोर की खंडपीठ में विविध प्रकरणों पर ऑनलाइन सुनवाई हो रही थी। मामले से जुड़े सभी पक्ष अपनी बारी आने पर कोर्ट में युक्तिवाद कर रहे थे। इसी दौरान कोर्ट के समक्ष उच्च शिक्षा से संबंधित मुद्दे पर एक छात्रा की याचिका सुनवाई के लिए आई। सुनवाई में याचिकाकर्ता छात्रा की ओर से एक वरिष्ठ अधिवक्ता और उनका सहायक वकील ऑनलाइन हाजिर हुए। कुछ ही देर में कोर्ट ने गौर किया कि सहायक वकील साधे कपड़ों में ही सुनवाई में शामिल हो गया है। यह ध्यान में आते ही कोर्ट ने मामले की सुनवाई रोक दी और वकील की  वेशभूषा  पर सख्त आपत्ति जताई। 

दरअसल, ऑनलाइन सुनवाई में भी सभी वकीलों को कोर्ट के शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखना होता है। वकीलों की  वेशभूषा भी इसका एक हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि बगैर नेकबैंड और सही  वेशभूषा  के कोई वकील सुनवाई में हाजिर ही कैसे हो सकता है? वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपने सहायक की गलती स्वीकारते हुए कोर्ट को बताया कि सुनवाई के पूर्व ही उन्होंने उसे टोका था, लेकिन समय के अभाव में  वेशभूषा  नहीं बदली जा सकी। कोर्ट ने कहा कि वे सुनवाई में  वेशभूषा  के नियम से कोई समझौता नहीं करेंगे। जब तक वकील की  वेशभूषा नहीं सुधरती वे इस मामले की सुनवाई ही नहीं करेंगे। संबंधित वकील को कोर्ट शिष्टाचार और  वेशभूषा  के महत्व का पाठ पढ़ाते हुए कोर्ट ने उसे जमकर लताड़ लगाई।   

कोर्ट ने कहा- यह बेंच हंटिंग
दरअसल, उक्त याचिका में इसी खंडपीठ ने बीते मार्च में सुनवाई ली थी, तब कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। नियमानुसार याचिका खारिज होने के बाद या तो याचिकाकर्ता को सर्वोच्च न्यायालय जाना चाहिए था, या तो नागपुर खंडपीठ में पुनर्विचार याचिका दायर करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा न करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने अवकाशकालीन न्यायालय के समक्ष दोबारा याचिका लगवा कर अपने पक्ष में आदेश प्राप्त कर लिया। अब नियमित खंडपीठ के समक्ष यह मामला आया तो पता चला कि न्यायालय को याचिकाकर्ता के वकील ने गुमराह करके सुनवाई करवाई है। इस पर नाराज हाईकोर्ट ने इसे सीधे सीधे "बेंच हंटिंग" करार देते हुए याचिका खारिज कर दी। साथ ही याचिकाकर्ता पर 5 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई। 
 

Created On :   15 Jun 2021 2:21 PM IST

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