- Home
- /
- निगरानी कार्यालय बनकर रह गया नागपुर...
निगरानी कार्यालय बनकर रह गया नागपुर का विधानमंडल सचिवालय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर व विदर्भ का महत्व बढ़ाने की दृष्टि से महाविकास आघाड़ी के कार्यकाल में नागपुर विधानभवन में विधानमंडल सचिवालय शुरू किया गया था। उद्देश्य था कि विदर्भ का कामकाज यहीं से हो और स्थानीय विधायकों को छोटे-मोटे कामों के लिए मुंबई आने-जाने की जरूरत न पड़े। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले की पहल पर सचिवालय का नागपुर विधानभवन में धूमधाम से उद्घाटन हुआ। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ऑनलाइन इसमें शामिल हुए थे। सचिवालय का कामकाज चलाने के लिए इसे स्टाॅफ भी उपलब्ध कराया। दो कक्ष अधिकारी, दो लिपिक, दो सिपाही इस सचिवालय में काम करते हैं। लेकिन जिस उद्देश्य से सचिवालय का उद्घाटन किया, वह अभी भी अधर में है। विदर्भ के विधायक अभी भी कोई पत्र-व्यवहार नागपुर सचिवालय से नहीं करते हैं। उन्हें कोई भी पत्र-व्यवहार करना है तो वे सीधे मुंबई से करते हैं। न यहां कोई पूछताछ के लिए आता है और न कोई समस्या लेकर। वह कोई जानकारी देने में भी सक्षम नहीं है।
नहीं दे पा रहे जवाब
अब तक स्थानीय समस्या को लेकर कोई निवेदन या पत्र भी सचिवालय में नहीं सौंपा है। स्टाॅफ की भी अपनी अलग मजबूरी है। उसे सचिवालय संबंधित किसी काम की आधिकारिक अनुमति नहीं है। मुंबई विधानमंडल सचिवालय से एक सूची स्टाॅफ को दी गई है। इस सूची के मुताबिक, वह सिर्फ विधानभवन परिसर में होने वाले कामों की निगरानी कर उसकी रिपोर्ट मुंबई सचिवालय को कर रहा है। वहां से कोई निर्देश मिलने के बाद वह आगे बढ़ता है। उसमें भी वह सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका निभाता है। ऐसे में बड़ा सवाल उपस्थित हो रहा है कि आखिर विधानमंडल सचिवालय को स्थानीय कामकाज की निगरानी करने के लिए शुरू किया गया या विदर्भ की समस्याओं को कम करने के लिए। जिसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है।
मिनी मंत्रालय भी सपना बना
यही हाल मिनी मंत्रालय का भी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के रहते नागपुर के हैदराबाद हाउस में मिनी मंत्रालय शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य भी स्थानीय समस्याओं को स्थानीय स्तर पर सुलझाने का था। निवेदन लेकर मुंबई जाने की जरूरत नहीं थी। समय-समय पर फडणवीस नागपुर पहुंचकर लोगों से यहां मिलकर उनकी समस्याएं भी सुनते थे। उनके जाते ही यह बंद हो गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रत्येक जिले में मिनी मंत्रालय शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन यह घोषणा सिर्फ घोषणा ही रही। विदर्भ की बात तो दूर नागपुर में जो था, वह भी बंद हो गया। अब हैदराबाद हाउस में सिर्फ मुख्यमंत्री सहायता निधि के आवेदन स्वीकारने का काम शुरू है। मौजूदा सरकार ने भी इस बारे में कोई पहल नहीं की। जिससे विदर्भ को न्याय दिलाना अब सिर्फ घोषणाएं साबित हो रही हैं।
वादा किया था हुआ कुछ भी नहीं
वादा किया गया था कि नागपुर विधानभवन में शुरू होने वाला सचिवालय विधानमंडल सचिवालय की छोटी इकाई स्वरूप में रहेगा। एक कक्ष से ही सारा कामकाज होगा। 5 से 7 लोगों का स्टाॅफ होगा। एक अवर सचिव, एक सेक्शन आॅफिसर, एक क्लर्क व दो आईटी एक्सपर्ट स्टाॅफ में शामिल रहेंगे। विधानमंडल के अधिवेशन के अलावा अन्य समय में विधानसभा सदस्यों, विधान परिषद सदस्यों व विविध विभागों से जुड़े अधिकारियों को आवश्यक सेवाएं व जानकारियां इस कक्ष से उपलब्ध होंगी। इस सचिवालय का काम केवल सूचना प्रेषक के तौर पर होगा। मुंबई के सचिवालय से यह कक्ष जुड़ा रहेगा। विदर्भ के विधान मंडल सदस्यों के लिए यह कक्ष निश्चित ही महत्वपूर्ण साबित होगा।
Created On :   7 Dec 2022 10:02 AM IST