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नागपुर में 3 स्थानों पर दिखा तेंदुआ, कहीं निशान नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पिछले 6 दिन से तेंदुआ चकमा दे रहा है। वन विभाग का अमला खोजबीन में लगा हुआ है, लेकिन पदचिह्न भी नहीं मिल पाए हैं। 1 जून को कृषि तालुका परिसर में सुअर का शिकार होने की बात सामने आई थी। वन विभाग के अमले ने पहुंचकर छानबीन शुरू की, लेकिन वहां तेंदुए के नहीं, श्वान के पदचिह्न नजर आए। कृषि तालुका परिसर में पिंजरे में सुअर का आधा शव रख वन विभाग ने तेंदुए का इंतजार किया, लेकिन एक भी ट्रैप में तेंदुआ नजर नहीं आया। लगता है अब महाराजबाग के आस-पास नहीं है। पीकेवी के पीछे नाले के पास और दो पिंजरे लगाए गए हैं।
फिर तेंदुआ दिखने की बात आई सामने
1 जून को रात 9 के आस-पास वीएनआईटी पानी टंकी के पास एक व्यक्ति ने पेड़ पर चढ़ते तेंदुए को देखा। जानकारी मिलते ही वनविभाग की सर्चिंग टीम ने तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
वन विभाग के अमले ने पहुंचकर छानबीन शुरू की, लेकिन वहां तेंदुए के नहीं, श्वान के पदचिह्न नजर आए। कृषि तालुका परिसर में पिंजरे में सुअर का आधा शव रख वन विभाग ने तेंदुए का इंतजार किया, लेकिन एक भी ट्रैप में तेंदुआ नजर नहीं आया। लगता है अब महाराजबाग के आस-पास नहीं है। पीकेवी के पीछे नाले के पास और दो पिंजरे लगाए गए हैं।
फिर तेंदुआ दिखने की बात आई सामने
1 जून को रात 9 के आस-पास वीएनआईटी पानी टंकी के पास एक व्यक्ति ने पेड़ पर चढ़ते तेंदुए को देखा। जानकारी मिलते ही वनविभाग की सर्चिंग टीम ने तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
घर वापसी के संकेत
जानकारों का कहना है कि अभी तक तेंदुए के पदचिह्न भी नहीं मिले हैं। मतलब, अभी वह महाराजबाग के आस-पास नहीं। वह गोरेवाड़ा से किसी शिकार की तलाश में आया होगा और रास्ता भटक गया होगा। ऐसा लगता है कि वह घर वापसी की ओर है। दो वर्ष पहले भी अंबाझरी के पास तेंदुआ नजर आया था, लेकिन नहीं मिल पाया था। कई बार जानवर शिकार की तलाश में रास्ता भटक जाते हैं, लेकिन फिर वापस चले जाते हैं।
पहले भी दो बार तेंदुआ आया
हिंगना स्थित पुलिस क्वार्टर में एक तेंदुआ सोसाइटी में पहुंच गया था। वह एक घर के बाथरूम में बैठा था। तेंदुआ जब शख्स के घर में घुसा तो वह सो रहा था। पड़ोसी ने उसे सतर्क किया कि एक छात्र ने उसके घर में तेंदुए को जाते देखा है। घर के मालिक ने बाथरूम में तेंदुए को देखा तो बाहर से दरवाजे को कसकर बांध दिया और अलार्म भी लगा दिया। बाद में उसने लकड़ी के तख्ते की मदद से दरवाजे को ब्लॉक कर दिया। वन विभाग और पशु चिकित्सकों की मदद से तेंदुए को पकड़ने में 9 घंटे का समय लगा था। लंबे पोल की मदद से तेंदुए को इंजेक्शन देकर शांत किया गया था।
6 दिसंबर 2019
अंबाझरी वन क्षेत्र स्थित मेट्रो के लिटिल वुड परिसर में तेंदुआ नजर आया था। एक मजदूर की सूचना पर हर हिंगना वन विभाग का दल लिटिल वुड पहुंचा और पूरे परिसर को सील कर दिया। पश्चात पैदल गश्त की, लेकिन तेंदुआ कहीं नजर नहीं आया। ड्रोन की मदद से भी पूरे परिसर की छानबीन की गई, लेकिन तेंदुआ नहीं मिल पाया था।
श्वान के पदचिह्न हैं, तेंदुए के नहीं
सुअर का शिकार जिस तरह से हुआ है, उससे लगता नहीं कि तेंदुए ने उसे मारा है। तेंदुए और बाघ के शिकार का तरीका अलग होता है। सुअर का शिकार किसी श्वान द्वारा किए जाने की आशंका है। वहां श्वान के पदचिह्न भी नजर आए हैं। महाराजबाग की महिला कर्मचारी ने तेंदुए को देखा है, यह बात भी सही है। वह कई वर्षों से महाराजबाग में काम रही है और हर प्राणी को अच्छी तरह से पहचानती है। -कुंदन हाते, सदस्य, वन्यप्राणी सलाहकार मंडल
तेंदुआ इतनी जल्दी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता
1 जून को जब वीएनआईटी के पास तेंदुए के पेड़ पर चढ़ने की जानकारी मिली, तो हमारी टीम तुरंत ही वहां पहुंची। सर्च में पेड़ पर तेंदुए का पदचिह्न, बाल अथवा अन्य कोई सबूत नहीं मिले। हो सकता है कि उस व्यक्ति ने उदबिलाव को पेड़ पर चढ़ते देखा होगा। उस व्यक्ति का कहना है कि तेंदुआ 15 सेकंड में पेड़ पर चढ़ गया, जबकि तेंदुआ इतनी जल्दी पेड़ पर नहीं चढ़ सकता। पेड़ के नीचे बहुत सुअर बैठे थे, अगर तेंदुआ होता तो वह वहां से भाग जाते। -अनिरुद्ध खड़से, इंचार्ज, आरएफओ रेस्क्यू सेंटर
Created On :   3 Jun 2021 12:03 PM IST