आर्मी आफिसर बनकर 1 लाख का लगाया चूना, मामला दर्ज

Lime of 1 lakh by becoming an army officer, case registered
आर्मी आफिसर बनकर 1 लाख का लगाया चूना, मामला दर्ज
आर्मी आफिसर बनकर 1 लाख का लगाया चूना, मामला दर्ज

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  साइबर अपराधियों ने एक व्यक्ति को आर्मी ऑफिसर बनकर ठग लिया गया। बंगला किराए पर लेने का झांसा देकर व्यक्ति के खाते से ऑनलाइन 99 हजार 500 रुपए निकाल लिए।   प्रताप नगर थाने में प्रकरण दर्ज किया गया।

मैजिक ब्रिक वेबसाइट पर दिया था विज्ञापन
वर्धा रोड स्थित स्वावलंबी नगर निवासी संकेत कन्हैयालाल शर्मा (30) का बंगलुरु में बंगला है, जिसे वह किराए पर देना चाहता है। इसके लिए उसने मैजिक ब्रिक वेबसाइट पर विज्ञापन दिया है। 31 जुलाई 2021 की रात संकेत को रणदीप सिंह नामक व्यक्ति का फोन आया। रणदीप ने बताया कि, वह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आर्मी ऑफिसर है, लेकिन अब उसे बंगलुरु भेजा जाने वाला है। जिसके चलते बंगलुरु में घर किराए पर चाहिए। बातचीत में उसने संकेत को विज्ञापन का हवाला दिया और कहा कि, उसे बंगला पसंद है। इस दौरान रणदीप ने आर्मी के अकाउंट ऑफिसर के तौर पर अपने साथी संजय सिंह नामक व्यक्ति से भी संकेत की बात कराई। इसके बाद चेक होने का झांसा देकर संकेत को क्यूआर कोड भेजा। 

साइबर सेल की ली जा रही मदद
संकेत ने जैसे क्यूआर कोड स्कैन किया। संकेत के एचडीएफसी बैंक खाते से 99 हजार 500 रुपए निकाल लिए गए। बैंक, थाना और साइबर सेल को इसकी शिकायत की गई है। प्रकरण साइबर पुलिस की मदद से सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अभी तक आरोपियों का कोई सुराग नहीं मिला है।  प्रकरण दर्ज किया गया। जांच जारी है।

केवाईसी अपडेट करने का झांसा देकर ठगी
वाड़ी थानांतर्गत घटित ऑनलाइन ठगी की घटना में फिर पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। घटना के एक साल बाद बुधवार को प्रकरण दर्ज किया गया।

आला अफसरों को करना पड़ा हस्तक्षेप
पीड़ित नवनीत नगर निवासी चंद्रशेखर देवेंद्रप्रसाद सिंह (51) वर्ष है। 7 फरवरी 2020 को उसे राहुल शर्मा नामक व्यक्ति ने चंद्रशेखर को फोन कर झूठ बोला था कि, वह पेटीएम कार्यालय से बोल रहा है तथा केवाईसी अपडेट करने का झांसा देकर उसने चंद्रशेखर के मोबाइल पर एक लिंक भेजी। उसके बाद ओटीपी नंबर प्राप्त किया। इसके तत्काल बाद आरोपी ने चंद्रशेखर के आईसीआईसीआई के बैंक खाते से बारी-बारी 4 लाख 61 हजार 671 रुपए निकाल लिए। घटना की संबंधित बैंक, थाना और साइबर सेल में शिकायत की गई थी, लेकिन जांच-पड़ताल का हवाला देकर प्रकरण को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। एक वर्ष तक मामला फाइलों में ही धूल खाता रहा। आखिरकार आला अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद प्रकरण दर्ज किया गया है। 

 

Created On :   6 Aug 2021 11:49 AM GMT

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