राज्य सरकार की उदासीनता से बुरी हालत में एलआईटी

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वर्षों से रिक्त है पद राज्य सरकार की उदासीनता से बुरी हालत में एलआईटी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर के भरत नगर स्थित लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एलआईटी) केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एक जाना-माना नाम है। वर्ष 1942 में दानदाता राव बहादुर डी. लक्ष्मीनारायण के प्रयासों से यह संस्थान स्थापित हुआ था। लेकिन बीते कुछ वर्षों से राज्य सरकार की उदासीनता के कारण संस्थान की हालत बुरी हो गई है। कई अहम पद वर्षों से रिक्त हैं, कई जरूरी पदों पर नियुक्ति नहीं होने से संस्थान की अकादमिक और प्रशासनिक गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ रहा है।  डॉ. गणपति यादव समिति की समिति ने राज्य सरकार को प्रस्तुत अपना रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

जनहित याचिका दायर : दरअसल एलआईटी पूर्व छात्र संगठन सदस्य प्रसन्ना सोहडे ने संस्थान के विकास के मुद्दे पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। एलआईटी में टेक्नोलॉजी की 6, एम.टेक की 4 और केमिकल की 7 शाखाएं हैं। संस्थान में 680 विद्यार्थियों की प्रवेश क्षमता है, लेकिन वर्तमान में संस्था में बड़ी संख्या मंे पद रिक्त होने का बुरा प्रभाव संस्थान की शैक्षणिक और प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर पड़ रहा है। हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद विविध आदेश पर राज्य सरकार ने अमल किया। राज्य उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने बीती 17 फरवरी को डॉ. गणपति यादव समिति गठित की थी। इस समिति को एलआईटी में रिक्त पद व अन्य मुद्दों पर अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी गई थी।

बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं : समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है। जिसमें स्पष्ट किया गया है कि संस्थान में 62 प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। वर्ष 2015 में संस्थान में प्लेसमेंट ऑफिसर का पद नहीं भरा गया है। यहां तक कि बीते 10 वर्ष से संस्थान में एक भी लाइब्रेरी सहायक नहीं है। वहीं संस्थान में कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक और वित्त व लेखा अधिकारी के नए पद निर्मित करना भी जरूरी है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में में ग्रंथपाल और स्टोर आॅफिसर का रिक्त तुरंत भरने की सिफारिश की है।  याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रोहित जोशी ने समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दलील दी कि राज्य सरकार ने एक भी सिफारिश पर अमल नहीं किया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को तुरंत ठोस निर्णय लेने के आदेश देकर दो सप्ताह में उत्तर प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

 

Created On :   9 Oct 2021 4:09 PM IST

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