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1600 वर्ष प्राचीन गणपति मठ में होगी भगवान गणेशजी की आराधना

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा/ पांढुर्ना। पांढुर्ना शहर के बीचों बीच शारदा मार्केट में स्थित श्री वीरशैव लिंगायत मठ संस्थान के गणपति मठ में भगवान श्रीगणेश की आराधना होगी। मध्यप्रदेश में वीरशैव लिंगायत का यह एकमात्र गणपति मठ है और करीब 1600 वर्ष प्राचीन है। यहां 970 वर्षों से गणेशोत्सव की परंपरा निभाई जा रही है। कर्नाटक के रंभापुरी शाखा के निर्देशन में मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य स्वामी महाराज मठ की जिम्मेदारी निभाते हैं।
गणपति मठ के मठाधिपति वीररूद्रमुनी शिवाचार्य स्वामी महाराज के अनुसार यह मठ मध्यप्रदेश में कर्नाटक के श्री वीरशैव लिंगायत मठ संस्थान रंभापुरी शाखा का एकमात्र मठ है। जिसका वीरशैव परंपरा अनुसार निर्माण हुआ है। जिसमें मध्य में ब्रम्हस्थल और इसके चारों ओर विशेष नक्काशी के स्तंभ बने हैं। मठ में 970 वर्षों से गणेशोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है। 970 वर्षों की परंपरा में श्रीगणेश की स्थापना और पूजन के प्रमाण यहां मौजूद हैं
माथे व हाथों में स्थापित रहता है शिवलिंग
970 वर्षों की परंपरा के अनुसार मठ में स्थापित की जाने वाली भगवान गणेश की प्रतिमा का आकार, स्वरूप, बनावट हर साल एक जैसी रहती है। यहां विराजित होने वाली गणेश प्रतिमा के स्वरूप में परंपरागत तौर पर एकरूपता निभाई जा रही है। परंपरा के अनुसार यहां विराजने वाले गणेशजी के माथे और हाथों में शिवलिंग स्थापित रहते हैं। शहर के ही मूर्तिकार एन. खोड़े गणेश प्रतिमा को आकार देते हैं। गणपति मठ से क्षेत्रवासियों की आस्था जुड़ी हुई है।
रेशमी वस्त्र धारण करते हैं भगवान गणेश
मठ में विराजने वाले गणेशजी को रेशमी परिधान से सुशोभित किया जाता है। प्रतिदिन विशेष साज-सज्जा और रेशमी वस्त्र पहनाकर भगवान गणेश का श्रृंगार होता है। शहर के पंडित नंदकिशोर जोशी वर्तमान में मठ के गणेशजी का पूजन और आरती करते हैं। जोशी परिवार बीते चार पीढिय़ों से मठ के गणेशजी के पूजन और आरती की परंपरा निभा रहा है। पहले दिन पूरणपोली और करंजी का भोग लगता है और प्रतिदिन अलग-अलग भोग गणेशजी को लगते हैं। एकादशी को फलों का भोग लगता है।
आस्था और भक्ति का लगता है मेला
गणेशोत्सव के दौरान भगवान श्री गणेश की आराधना करने भक्त भक्तिभाव के साथ यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि भगवान गणेश भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। यहां गणेश जी की आराधना और भक्ति करने भक्तों का मेला लगता है। रोजाना बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचकर गणेशजी के अनुपम रूप के दर्शन करते हैं। पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए पूरे आस्था और भक्तिभाव से भगवान गणेश जी की आराधना होती है। यहां आयोजित होने वाले गणेशोत्सव में श्री वीरशैव लिंगायत समाज और युवा संगठन सहयोग करते हैं।
इनका कहना
गणपति मठ से श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति जुड़ी हुई है। हर साल परंपरागत रूप से हर्षोल्लास के साथ गणेशोत्सव मनाया जाता है। जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालु शामिल होकर पूजन और दर्शन करने के साथ मनोकामना मांगते है।
वीररूद्रमुनी शिवाचार्य स्वामी महाराज, मठाधिपति
क्षेत्र का सबसे पुराना मठ होने से इसकी मान्यता अधिक है। यहां लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां गणेशोत्सव में गणेशजी के दर्शन करने से सालभर की परेशानी दूर होती है और गणेशजी के दर्शन से मन को शांति मिलती है।
सुधीर नांदेकर, वरिष्ठ नागरिक
पांढुर्ना में मौजूद गणपति मठ का महत्व है। भक्त पूरी आस्था के साथ यहां पहुंचकर दर्शन-पूजन करते हैं। गणेशोत्सव के दौरान गणपति मठ में भक्तों का मेला लगता है। नारियल चढ़ाकर मनोकामना भी मांगी जाती है।
Created On :   30 Aug 2022 9:17 PM IST