सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने में महाराष्ट्र देश का पहला राज्य

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सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने में महाराष्ट्र देश का पहला राज्य

विजय सिंह 'कौशिक', मुंबई। सामाजिक और जातिगत बहिष्कार के खिलाफ कानून बनाने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया है। महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार प्रतिबंधक कानून-2016 पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। कानून के तहत दोषियों को 3 साल तक कारावास और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यह विधेयक 13 अप्रैल, 2016 को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों में पारित कर केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा गया था।

विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने पर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अविनाश पाटील ने कहा है कि इस कानून से जातीय भेदभाव दूर करने में मदद मिलेगी। जातिगत पंचायतों पर भी नकेल लग सकेगी। हमें उम्मीद है कि सरकार इस कानून को सख्ती से लागू करेगी। राज्य में सामाजिक बहिष्कार की कुछ घटनाओं के बाद अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने यह मसला सरकार के समक्ष रखा था।

ये कहा था सीएम ने...

इस विधेयक को सदन में पेश करते वक्त सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने विधानपरिषद में कहा था कि राज्य में सामाजिक बहिष्कार के 68 मामले सामने आए हैं। अकेले रायगढ़ जिले में 633 लोग सामाजिक बहिष्कार झेल रहे हैं।

कानून में क्या है खास

- कोई भी संगठन यदि जाति के आधार पर कोई फतवा जारी करता है, पीड़ित पर जुर्माना लगाता है तो उससे जुर्माने की राशि वसूल कर पीड़ित को मुआवजा देने का प्रावधान।

- सामाजिक बहिष्कार के मामलों को देखने के लिए अधिकारी नियुक्ति किए जाएंगे।

- यदि किसी व्यक्ति को सामाजिक, धार्मिक, जुलूस, रैली, स्कूल, क्लब हाउस व मेडिकल सुविधाएं हासिल करने से रोका जाता है, तो इसे सामाजिक बहिष्कार की श्रेणी में माना जाएगा।

- जातिगत पंचायत के फैसले का समर्थन करने वाले भी दोषी माने जाएंगे।

Created On :   13 July 2017 1:44 PM IST

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