दाग लगने न पाए, इसलिए भाजपा ने सभी 108 नगरसेवकों से लिए इस्तीफे

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दाग लगने न पाए, इसलिए भाजपा ने सभी 108 नगरसेवकों से लिए इस्तीफे
दाग लगने न पाए, इसलिए भाजपा ने सभी 108 नगरसेवकों से लिए इस्तीफे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनाव में रिकार्ड जीत दर्ज कर 108 नगरसेवकों के साथ महानगरपालिका में पहुंची भाजपा का अपने नगरसेवकों पर विश्वास डगमगाने लगा है। पिछले एक साल में नगरसेवकों के रिपोर्ट कार्ड और बढ़ती अनुशासनहीनता को देखते हुए भाजपा ने अपने सभी 108 नगरसेवकों से इस्तीफा लेने की जानकारी सामने आई है। वजह यह कि नगरसेवक पार्टी अनुशासन से बंधे रहे और ऐसी कोई हरकत न करें, जिससे पार्टी की छवि खराब हो।

इसे नगरसेवकों पर एक तरह से दबाव-तंत्र भी बताया जा रहा है। हालांकि, पार्टी नेता इसे पुरानी परंपरा बताकर बचाव कर  रहे हैं। दावा है कि पिछले काफी सालों से यह परंपरा चल रही है। चुनाव के बाद ही सभी नगरसेवकों से इस्तीफे ले लिए जाते हैं। इस बार इस्तीफा लेने में देरी हो गई है। इसमें अविश्वास या कोई नई बात नहीं है। पार्टी में अनुशासन बना रहे, इसके लिए इस्तीफा लिया जाता है।

प्रभाग में 4 पार्षद होने से विकास की अनदेखी
इस बार शहरवासियों ने भाजपा को बड़े बहुमत के साथ मनपा में भेजा है। 151 में से 108 नगरसेवक चुनकर दिए हैं। 4 सदस्य मनोनीत, ऐसे 112 सदस्य भाजपा के हैं। इसमें से ज्यादातर नगरसेवक पहली बार चुनकर आए हैं। राज्य और केंद्र में भाजपा सरकार होने से नागरिकों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं, किन्तु पिछले एक साल में भ्रम निराश हुआ है। चार नगरसेवक प्रभाग में होने से विकास की अनदेखी हुई है। सब एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढकेल रहे हैं। समस्याओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे नागरिकों में नगरसेवकों के प्रति असंतोष बढ़ा है। प्रभाग 35 में हुए उपचुनाव में इसका असर भी दिखा।

काफी कम अंतर से भाजपा ने यह सीट जीती थी। 2019 चुनाव के मद्देनजर यह नाराजगी भारी पड़ सकती है। इसे देखते हुए पार्टी ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। नगरसेवकों के एक साल के  रिपोर्ट कार्ड और बढ़ते असंतोष को देखते हुए पार्टी की सुकाणू समिति ने नगरसेवकों के इस्तीफे लेने का निर्णय लिया था। हाल में सुकाणू समिति की बैठक हुई, जिसमें यह सिफारिश की गई। समिति ने निष्क्रिय सदस्यों पर नाराजगी भी व्यक्त की, जिसके बाद सभी नगरसेवकों से इस्तीफा लेने की जानकारी है।

यह पुरानी परंपरा है
प्रवीण दटके, वरिष्ठ नगरसेवक के मुताबिक आज की नहीं, बल्कि पार्टी में यह काफी पुरानी परंपरा है। चुनाव जीतकर आने के बाद पहली बैठक में ही सभी से इस्तीफे लिए जाते हैं, लेकिन इस बार विलंब हुआ है। इसलिए अभी सभी से इस्तीफा लिया जा रहा है। इससे पार्टी में अनुशासन बना रहता है।

Created On :   29 Jan 2018 12:15 AM IST

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