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सम्रग शिक्षा अभियान को अमल में लाने कौन से कदम उठाए-हाईकोर्ट
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि उसने समग्र शिक्षा अभियान को पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून 2016 के अनुसार प्रभावी ढंग से अमल में लाने के लिए कौन से कदम उठाए है। हाईकोर्ट में बाल सुधार गृह (एमडीसी होम) में रहने वाले मानसिक रुप से कमजोर बच्चों को सुविधाएं दिए जाने के मुद्दे पर सुनवाई चल रही है। इससे पहले हाईकोर्ट को बताया गया कि सर्व शिक्षा अभियान का नाम बदल कर समग्र शिक्षा अभियान कर दिया गया है।
मामले की न्यायमित्र के रुप में पैरवी कर रही प्रोफेसर आशा बाजपेयी ने न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति अजय गड़करी की खंडपीठ के सामने कहा कि सरकार दिव्यांग बच्चों के लिए पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर रही है, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका के स्कूलों की इमारत बहुमंजिला है जिसके चलते वहां दिव्यांग बच्चों को पहुंचने में कठिनाई होती है। इसके अलावा बच्चों की शिक्षा के लिए सरकार जो अभियान चला रही है। उसमें शिक्षकों की भारी कामी है। हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में राज्य सरकार को बालसुधार गृह में रहनेवाले बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए एक मॉडल तैयार करने के लिए कहा था। लेकिन इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। इस दौरान इस प्रकरण को लेकर सामाजिक न्याय विभाग व स्कूली शिक्षा व खेल विभाग के सचिवों ने हलफनामा दायर किया।
हलफनामे पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव ने हलफनामे में मुंबई के मानखुर्द के एमडीसी होम के बच्चों के स्कूल जाने के विषय में गलत जानकारी दी है। खंडपीठ ने स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव को दो सप्ताह के भीतर गलत जानकारी देने के मुद्दे पर हलफनामा दायर करने को कहा। इसके साथ ही सरकारी वकील को अगली सुनवाई के दौरान बताने को कहा है कि समग्र शिक्षा अभियान को पर्सन विथ डिसेबिलिटी कानून के अनुसार प्रभावी ढंग से अमल में लाने के लिए कौन से कदम उठाए गए है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 8 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी है।
Created On :   16 Feb 2019 5:01 PM IST