भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकाम हो रही एसीबी

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भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में नाकाम हो रही एसीबी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। घूसखोरों पर लगाम लगाने के लिए बनी गठित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो(एसीबी) अपने मकसद में नाकाम होती दिख रही है। हालात यह है कि साल 2020 में एसीबी ने भ्रष्टाचार के आरोप में 637 मामले दर्ज किए लेकिन इनमें से करीब सात फीसदी यानी 43 मामलों में ही आरोपपत्र दाखिल कर पाई। दोष सिद्धि के मामले तो और हैरान करने वाले हैं। ज्यादातर मामलों में लोगों को रंगेहाथ पकड़ने का दावा करने वाली एसीबी 2020 में सिर्फ 10 मामलों में कुल 14 आरोपियों को सजा दिला पाई।

कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के चलते साल 2020 के ज्यादातर दिनों में सरकारी कामकाज प्रभावित रहे इसके बावजूद एसीबी ने जाल बिछाकर 596 घूसखोरों को पकड़ा। 10 आय से अधिक संपत्ति के और 21 भ्रष्टाचार के दूसरे मामले दर्ज किए। लेकिन इन मामलों में से 466 की अभी भी जांच जारी है। 102 मामले ऐसे हैं जिनकी जांच तो पूरी हो गई है लेकिन सरकार या संबंधित अधिकारी से मुकदमा चलाने की मंजूरी ही नहीं मिली। सिर्फ 15 मामलों में एसीबी को मुकदमा चलाने की मंजूरी मिली है।

 जांच के बाद आरोपपत्र दायर करने के मामलों में किस कदर गिरावट आई है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 2019 में राज्यभर में एसीबी ने भ्रष्टाचार के कुल 891 मामले दर्ज किए थे जिनमें से करीब 49 फीसदी यानी 433 मामलों में आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया था। सिर्फ 205 मामलों की जांच बची थी। मुकदमा चलाने के लिए सरकारी और संबंधित अधिकारी की मंजूरी के लिए 176 मामले प्रलंबित थे। एसीबी साल 2019 में भ्रष्टाचार के 54 मामलों में 65 आरोपियों को सजा दिलाने में कामयाब रही थी। जिसमें सबसे ज्यादा 17 पुलिसवाले और 15 राजस्व विभाग के कर्मचारी थी। साल 2020 में जिन 10 आरोपियों को सजा हुई है उसमें 4 पुलिस विभाग जबकि 3 नगर रचना विभाग में तैनात थे।   

लगातार घट रही कार्रवाई
भ्रष्टाचार के खिलाफ हो रही कार्रवाई में पिछले छह सालों से लगातार कमी आ रही है। आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2014 में भ्रष्टाचार के आरोप में सबसे ज्यादा 1316 मामले दर्ज किए गए थे जो साल साल 2020 में घटकर आधे से भी कम यानी 663 रह गए। दरअसल पुलिस महानिदेशक (एसीबी) की कुर्सी संभालने के बाद पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रवीण दीक्षित ने कई ऐसे कदम उठाए थे जिससे लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने के लिए आगे आ रहे थे। लेकिन उनके बाद एसीबी की कमान संभालने वाले अधिकारियों ने फिर पुराना रवैया अपना लिया। जिसका सीधा असर आंकड़ों में नजर आ रहा है। 

साल          2014   2015   2016   2017  2018  2019   2020

दर्ज मामले 1316    1279  1016     925    936    891     663

 
यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि भ्रष्ट्राचार का असर सीधे आम लोगों के जीवन और शासन पर पड़ता है। भ्रष्टाचार के मामलों में ढिलाई से सरकार का चरित्र नजर आता है- प्रवीण वाटेगांवकर, सामाजिक कार्यकर्ता

Created On :   14 Jan 2021 1:58 PM GMT

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