- Home
- /
- बाल आरोपियों को अपराध के दलदल से...
बाल आरोपियों को अपराध के दलदल से निकालेगी पुलिस, स्वयंसेवी संगठनों की लेंगे मदद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बाल आरोपियों को अपराध की दलदल से निकालने शहर पुलिस एक अनोखी पहल करने जा रही है। अपराध शाखा पुलिस कुछ एनजीओ (स्वयंसेवी संगठनों) की मदद से जल्द ही बाल आरोपियों के लिए एक ऐसा मार्गदर्शन कार्यक्रम शुरू करने जा रही है, जिसमें बाल आरोपियों को अपराध से दूर रहने के गुर सिखाए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार इसके लिए अपराध शाखा पुलिस विभाग ने महिला व बाल विकास विभाग की ओर से जिलाधीश के मार्फत संचालित होने वाले बाल निरीक्षण गृह से 150 बाल आरोपियों की सूची मंगाई है। इसमें कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, जो जाने अंजाने अपराध की दलदल में फंस गए हैं। वह दोबारा इस दलदल में न जाएं, उन्हें कैसे बचाया जा सकता है।
बैठक में शामिल हुए 30 थानों के थानेदार
छावनी में एन कॉप्स सेंटर में पहले दौर की बैठक हुई। इस बैठक में शहर के 30 थानों के थानेदारों को बुलाया गया था। इस कार्य के लिए स्वयंसेवी संगठनों की मदद ली जाएगी। बाल आरोपियों का मार्गदर्शन करते समय उन्हें इस बात का एहसास भी नहीं होने दिया जाएगा कि वह पुलिस की निगरानी में रहेंगे। उन्हें वह सब कुछ सुविधाएं देने की कोशिश की जाएगी, जो एक मामूली बच्चे को खेलकूद व पढ़ने के लिए दी जाती है। मौजूदा समय में बाल निरीक्षण गृह में 15 बाल आरोपी हैं। महिला व बाल विकास के अधिकारियों का मानना है कि पुलिस की अपेक्षा उनका बाल आरोपियों से काफी करीबी संपर्क रहता है। महिला व बाल विकास विभाग के अधिकारी व कर्मचारी हर उस बाल आरोपी की अच्छी और बुरी बातों से वाकिफ होते हैं, जो बाल निरीक्षण गृह में काफी समय तक रहते हैं। पुलिस अगर इस कार्य को मिलजुल कर करेगी तो पुलिस आयुक्त का शहर को बाल अपराध मुक्त शहर बनाने का सपना जल्द पूरा हो सकेगा।
पुलिस रखेगी जानकारी
सूत्रों के अनुसार बाल आरोपी कहीं गलत संगत में तो नहीं जा रहा है। इस बारे में संबंधित थाने की पुलिस उस पर नजर रखेगी। कहा जाता है कि नजर इस कदर रखी जाएगी, ताकि उसके दिल में पुलिस का डर भी रहे और वह अपराध की दिशा में दोबारा कोई सोच अपने मन में पैदा न कर सके। पुलिस के लिए यह प्रयास काफी चुनौतीभरा है, लेकिन अगर सभी मिलकर इस पर कार्य करेंगे तो शायद पुलिस का यह कदम सफल हो जाए। सूत्रों का मानना है कि बाल व महिला विकास विभाग के अधिकारी या कर्मचारी उस बालक के निरीक्षण गृह में रहने के दौरान ही उस पर नजर रख पाते हैं। वह बाल निरीक्षण गृह से एक बार निकल जाने के बाद और युवा होने पर वह क्या कर रहा है। वह कहां आता जाता है। उसकी संगत कैसे लोगों के साथ बढ़ रही है।
इस बारे में पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही बेहतर जानकारी रख सकते हैं। इसलिए पुलिस आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय ने इस तरह की योजना पर कार्य करने की दिशा में कदम उठाया है। उनका मानना है कि बच्चे मन के सच्चे होते हैं। वह कुंभार की मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें बाल अवस्था से आगे बढ़ने पर जैसे संगत मिलती है, वैसे ही संगत में पलने बढ़ने लगते हैं, ठीक उसी तरह से जैसे गीली मिट्टी से कुंभार जैसे चाहता है, वैसे बर्तन को आकार देता है। पुलिस भी कुछ ऐसा ही बाल आरोपियों को लेकर करना चाहती है, ताकि बाल अपराध पर रोक लगाई जा सके।
बैठक में किया विचार-विमर्श
हां, बाल आरोपियों के लिए पुलिस विभाग कुछ अनोखी पहल करने के लिए शहर के सभी थानेदारों की बैठक ली। पहले दौर की बैठक में कुछ पहलुओं पर विचार विमर्श किया गया। बाल आरोपियों को अपराध की दलदल से दूर रखने के लिए पुलिस की अपनी सोच है। उसे लेकर दूसरे संबंधित विभागों से भी चर्चा की जाएगी।
संभाजी कदम, उपायुक्त, अपराध शाखा पुलिस विभाग, नागपुर शहर
मदद के लिए तैयार हैं
पुलिस इस मामले में जो भी महिला व बाल विकास विभाग से मदद चाहेगी, उसके लिए हम तैयार हैं।
विजयसिंह परदेसी, जिला महिला व बाल कल्याण अधिकारी
Created On :   29 Aug 2018 3:17 PM IST