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गड़चिरोली में तीन वर्ष में तेजी से बढ़ा कुपोषण का आंकड़ा, 362 बच्चे अति-कुपोषित की श्रेणी में
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। सभी सुविधायुक्त पृथक महिला एवं बाल अस्पताल आरंभ करने के साथ विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पोषाहार वितरित करने के बावजूद आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले में कुपोषण का प्रमाण कम होता नजर नहीं आ रहा है। पंचायत समिति स्तर पर किये गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक गड़चिरोली जिले में 362 बालक अतिकुपोषित श्रेणी में पाए गये हैं। यह आंकड़ा विगत तीन वर्षों की अवधि में काफी तेजी से बढ़ता नजर आ रहा है, लेकिन सरकारी महकमा पूरी तरह चुप्पी साधे बैठा है। हालत पूरी तरह कमजोर होने के बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधि लोगों में खैरात बांटने में मशगूल नजर आ रहे हैं।
सनद रहे कि, राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग समेत महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा पूरे प्रदेश में कुपोषण में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन गड़चिरोली की हालत बद से बदतर हो रही है। वर्ष 20170- 18 में गड़चिरोली पंचायत समिति के माध्यम से गड़चिरोली तहसील में कुपोषण का सर्वेक्षण किया गया। 0 से 5 वर्ष आयुसीमा के कुल ६ हजार 929 बालकों की स्वास्थ्य जांच करायी गयी। सर्वेक्षण में 5 हजार 14 बालक साधारण श्रेणी में पाए गये। वहीं 1 हजार 533 बालक मध्यम श्रेणी में पाए गये, जबकि अतिकुपोषित श्रेणी में 362 बालकों का समावेश किया गया।
गत तीन वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाले तो वर्ष 2015-16 में ५ हजार 594 बालक साधारण कुपोषण की श्रेणी में थे। 1 हजार 260 बालक मध्यम व 108 बालक अति कुपोषित श्रेणी में थे। वहीं वर्ष 2016-17 की कालावधि में साधारण कुपोषण का आंकड़ा बढ़कर तकरीबन 7 हजार 99 पर पहुंच गया। इस वर्ष1 हजार 357 बालक मध्यम कुपोषित श्रेणी में पाये गये। जबकि 273 बालक अति कुपोषण में श्रेणी में थे। तीन वर्षों में अति कुपोषित बालकों की संख्या बढ़कर अब 362 पर पहुंच गयी है। बता दें कि, गड़चिरोली तहसील की कुल 59 आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अमृत आहार योजना चलायी जा रहीं है। जिसके माध्यम से कुपोषण की श्रेणी में समाविष्ट बालकों को पोषाहार वितरित किया जा रहा है। प्रति माह बालकों की स्वास्थ्य जांच भी करायी जाती हैं, लेकिन इतना कुछ करने के बावजूद कुपोषित बालकों की संख्या में कोई कमी नजर नहीं आ रहीं है।
कुपोषित बच्चों पर खर्च होंगे प्रतिदिन 160 रुपए
अतिकुपोषित बालकों का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये राज्य के महिला व बालकल्याण विभाग ने ग्राम बाल विकास केंद्र योजना शुरू की है। योजना के तहत अब प्रतिदिन प्रति बालक पर 160 रुपये खर्च किए जाएंगे। तीन दिन बालकों को वैद्यकीय सुविधा और पौष्टिक आहार दिया जाएगा। इसके लिये सरकार ने 17 करोड़ रुपये मंजूर किए है।
Created On :   22 Nov 2018 10:02 AM GMT